विदर्भ के 4 जिलों मेंं आयुर्वेदिक क्लस्टर , बदली आदिवासियों की जिंदगी

Uproar on the first day of monsoon session, 12 BJP MLAs suspended
विदर्भ के 4 जिलों मेंं आयुर्वेदिक क्लस्टर , बदली आदिवासियों की जिंदगी
विदर्भ के 4 जिलों मेंं आयुर्वेदिक क्लस्टर , बदली आदिवासियों की जिंदगी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आदिवासियों के लिए रोजगार प्राप्त करना एक बड़ी समस्या है, खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासी दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी बड़ी मुश्किल से कर पाते हैं। साल में इन्हें 100 से 150 दिन ही रोजगार मिल पाता है। इसे देखते हुए खादी व ग्रामोद्योग आयोग ने पहल की और इन्हें 365 दिन रोजगार के अवसर उपलब्ध करावा रहा है। इनके लिए आयुर्वेदिक क्लस्टर शुरू किए गए हैं। विदर्भ के 4 जिलों में ये क्लस्टर शुरू हो चुके हैं। इससे 2500 आदिवासियों को सीधे रोजगार मिलने लगा है। कृषि कार्य से पहले इन्हें प्रतिदिन अधिकतम 250 रुपए मिलते थे, लेकिन अब अधिकतम 400 रुपए की आय होने लगी है। 

2500 लोगों के हाथों को मिला काम
नागपुर इकाई के कार्यक्षेत्र अंतर्गत 11 जिले आते हैं। इनमें से 4 जिलों में ये क्लस्टर शुरू हो चुके हैं। इससे छोटे-छोटे गांवों में रहने वाले आदिवासियों को सालभर रोजगार मिलने लगा है। इस समय चार जिलों में शुरू हुए क्लस्टर के माध्यम से 2500 आदिवासियों को रोजगार प्राप्त हो रहा है।

मार्केटिंग और बिक्री को अच्छा प्रतिसाद
खादी व ग्रामोद्योग आयोग की नागपुर इकाई ने क्लस्टर बनाने का निर्णय लेने से पहले ग्रामीण क्षेत्रों का निरीक्षण किया था। इस दौरान यह बात सामने आई कि ग्रामीण में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों व वनस्पतियों का भंडार है। वहां के आदिवासियों को इसकी काफी जानकारी है। आदिवासी जंगलों से जड़ी-बूटियां चुनकर लाते हैं। बाद में शहरों के दवा उत्पादक, कच्ची सामग्री बेचनेवालों को औने-पौने दामों में बेच देते हैं। इससे इनको उचित मेहनताना नहीं मिलता है। इसलिए उन्हें सालभर रोजगार देने के लिए आयुर्वेदिक क्लस्टर शुरू करने की योजना बनाई गई। यह प्रस्ताव मुख्यालय भेजा गया, जिसे मंजूरी मिल गई। क्लस्टर में तैयार होने वाले उत्पादों की मार्केटिंग व बिक्री को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा हैै। 

कोरला गांव में शुरू हुआ पहला क्लस्टर
 खादी व ग्रामोद्योग आयोग ने 2018 में ग्रामीण क्षेत्रों के वनसंपदा व पेड़-पौधों का निरीक्षण कर आदिवासियों को इसके माध्यम से रोजगार दिलाने का निर्णय लिया था। 2019 में इस योजना का प्रारूप तैयार हुआ। 2020 के अंत तक क्लस्टर स्थापित करने थे, लेकिन कोरोना के चलते इस काम में विलंब हुआ है। जनवरी 2021 में गड़चिरोली जिले के कोरला गांव में पहला क्लस्टर शुरू हुआ। विदर्भ का यह पहला आयुर्वेदिक हर्बल क्लस्टर है। यहां आयुर्वेदिक व हर्बल दवाओं और पौष्टिक रसायनों का निर्माण होता है। दूसरा क्लस्टर भंडारा जिले के मुरमाड़ी गांव में शुरू किया। यह लाख का क्लस्टर है। यहां लाख से चुड़ियां और आभूषण तैयार किए जाते हैं। तीसरा क्लस्टर जून में अमरावती जिले के मेलघाट में शुरू किया गया है। यहां खोवा व शहद तैयार किया जाता है। इसके अलावा इन सामग्रियों से विविध उत्पाद तैयार किए जाते हैं। चौथा क्लस्टर बीबा (भिलावा) का है। इसे वाशिम जिले के मालेगांव में शुरू किया गया है। जून 2021 में इसकी शुरुआत हुई है। यहां बीबा फोड़ना, तेल निकालना, गोलंबी (बीबा काजू) अलग करना आदि काम किए जाते हैं। 

खोले गए हैं सात आउटलेट
खेतों में 12 घंटे काम करने पर आदिवासियों को 250 रुपए रोज मिल पाते थे, जिससे इन्होंने कृषि कार्य में रुचि लेना बंद कर दिया है। अब ये लोग क्लस्टर के लिए जड़ी-बूटियां व वनस्पतियां संग्रहित कर लाते हैं। इसके बदले उन्हें रोज 400 रुपए तक मिलते हैं। क्लस्टर के माध्यम से देशभर में कच्ची दवाओं की आपूर्ति करने की योजना है। विदर्भ में 11 क्लस्टर तैयार किए जाने हैं। वर्धा में नीरा गुड़ और खादी, अमरावती में खादी, काटोल में सब्जियां, भद्रावती व पवनी में शहद और भंडारा, गोंदिया में लाख उत्पादन क्लस्टर तैयार किए जाएंगे। खादी ग्रामोद्योग के 7 आउटलेट के माध्यम से मार्केटिंग व बिक्री व्यवस्था की जा रही है।

हुनर का किया गया उपयोग
ग्रामीण क्षेत्रों में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों का भंडार है। इसकी जानकारी आदिवासियों को होती है। इसलिए उनके हुनर का उपयोग कर उन्हें रोजगार देने के लिए क्लस्टर योजना शुरू की गई है। अब तक 4 क्लस्टर शुरू हो चुके हैं। इसके माध्यम से उन्हें सालभर रोजगार मिलने लगा है।  -डॉ. सी. पी. कापसे, पूर्व निदेशक, खादी व ग्रामोद्योग आयोग, नागपुर

Created On :   5 July 2021 3:52 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story