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पति को किडनी देकर उर्मिला ने बचाई जान, समाज के सामने बनी आदर्श
डिजिटल डेस्क, कुरखेड़ा(गड़चिरोली)। सती युग में जिस तरह सावित्री ने कड़ी तपस्या कर पति सत्यवान की जान यमराज से लड़कर वापस मांगी थी, उसी तरह इस युग की एक सावित्री ने अपनी एक किडनी दान कर पति की जान बचाई है। पति-पत्नी के बीच रिश्तों के बीच प्रगाढ़ता की मिसाल रखी है गड़चिरोली जिले के कुरखेड़ा उर्मिला मेश्राम ने।
दो साल से पीड़ित थे बीमारी से
जानकारी के मुताबिक प्रा. अशोक मेश्राम शिवाजी कनिष्ठ महाविद्यालय में साइंस के प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं। दो वर्ष पहले प्रा. मेश्राम मधुमेह व रक्तदाब से ग्रस्त हो गए। शुरुआत में उन्होंने बीमारी की ओर ध्यान नहीं दिया। जिससे उनकी तकलीफ बढ़ गई। इसी बीच नागपुर के चिकित्सक ने शुरुआत में डायलिसिस करवाने का सलाह दी। देखते ही देखते उनकी दोनों किडनी तकरीबन 65 फीसदी तक खराब हो गईं। इस पर डाक्टरों ने उन्हें किडनी बदलवाने की सलाह दी। नागपुर के सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में किडनी बदलवाने का निर्णय लिया गया। लेकिन प्रा. अशोक को किडनी कौन देगा? यह सवाल उठने पर परिजनों में से कोई भी उन्हें अपनी किडनी देने के लिए तैयार नहीं था। ऐसे में पति की जान बचाने के लिए उनकी पत्नी माई उर्फ उर्मिला ने अपनी किडनी देने का निर्णय लिया। पहले तो उनके निर्णय का सभी ने विरोध किया, पर वह अपने निर्णय पर कायम रही।
डाक्टरों का मार्गदर्शन
बाद में डा. विशाल रामटेके ने उनका समर्थन दिया। विभिन्न जांच करवाने के बाद सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में डा. संजय कोलते व उनकी टीम ने किडनी प्रत्यारोपण की शल्यक्रिया की। शल्यक्रिया के बाद हाल ही में मेश्राम दम्पति कुरखेड़ा पहुंचे। अब पति व पत्नी के स्वस्थ होने की जानकारी है। खुद की किडनी दान कर पति को मौत की मुंह से बाहर निकालने वाली उर्मिला मेश्राम का कुरखेड़ा के एक बचत समूह ने सत्कार किया। उर्मिला मेश्राम ने अपने निर्णय से समाज के सामने आदर्श रखा है।
Created On :   6 April 2018 7:03 AM GMT