भोपाल के सरकारी अस्पताल के वैक्सीनेशन सेंटर का नजारा उत्सव स्थल जैसा

Vaccination center of Bhopal government hospital looks like a festival site
भोपाल के सरकारी अस्पताल के वैक्सीनेशन सेंटर का नजारा उत्सव स्थल जैसा
मध्य प्रदेश भोपाल के सरकारी अस्पताल के वैक्सीनेशन सेंटर का नजारा उत्सव स्थल जैसा
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  • भोपाल के सरकारी अस्पताल के वैक्सीनेशन सेंटर का नजारा उत्सव स्थल जैसा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। सरकारी अस्पताल का जिक्र आते ही आंखों के सामने बेतरतीब और बदहाल स्थान की तस्वीर उभर आती है, मगर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का सरकारी काटजू अस्पताल इससे इतर है और यहां के कोरोना वैक्सीनेशन सेंटर का नजारा तो किसी उत्सव स्थल से कम नहीं है। यही कारण है कि यहां आने वाला हर व्यक्ति न केवल टीका लगवा रहा है बल्कि अपनों को यहां आने के लिए प्रेरित भी कर रहा है।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में वर्तमान में दो ऐसे वैक्सीनेशन सेंटर हैं, जहां 24 घंटे वैक्सीनेशन की सुविधा सुलभ है। आइए हम बात करते हैं सरकारी काटजू अस्पताल में स्थित वैक्सीनेशन सेंटर की। इस सेंटर में प्रवेश करते ही आपका सामना यहां तैनात सुरक्षाकर्मी से होगा और उसके बाद आपकी मुलाकात कंप्यूटर पर बैठे डाटा दर्ज करने वाले कर्मचारी से, अगर आपने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है तो महज एक मिनट से भी कम समय में पंजीयन हो जाता है और व्यक्ति पांच मिनट के भीतर काउंटर पर पहुंचकर वैक्सीनेशन करा चुका होता है। उसे यहां टीका लगवाने के बाद 30 मिनट रुकना होता है, क्योंकि ऐसा प्रोटोकॉल में प्रावधान है।

इस टीकाकरण केंद्र में आने वालों के स्वागत में रेड कारपेट बिछाया गया है तो उनका 30 मिनट का वक्त सुखद गुजरे इसके लिए टीवी लगा है साथ ही मध्यम आवाज में संगीत भी गूंजता रहता है। इतना ही नहीं यहां तैनात सुरक्षाकर्मी और स्वास्थ्य कर्मी वैक्सीनेशन कराने वालों से उनका हाल भी पूछते रहते हैं, ताकि उन्हें किसी तरह की परेषानी आए तो उसका निदान किया जा सके।

एक निजी महाविद्यालय के प्राध्यापक प्रसन्ना जैन अपनी पत्नी को वैक्सीन लगवाने पहुंचे। उनका कहना है कि, वे यही मानकर चल रहे थे कि सरकारी अस्पताल में जाकर कतार में लगना होगा और दो से तीन घंटे का वक्त लग जाएगा, मगर यहां आकर वैसा कुछ नहीं था। यहां पहुंचते ही एक मिनट से कम समय में पंजीयन हुआ और उसके बाद सीधे काउंटर पर पहुंचने पर वैक्सीन लग गई, उसके बाद 30 मिनट रुकना पड़ा और घर लौट गये। कुल मिलाकर घर से सेंटर तक पहुंचने और सेंटर से घर तक पहुंचने में ज्यादा वक्त लगा, मगर वैक्सीन लगवाने और वहां रुकने में उससे भी कम समय लगा। यह मेरे लिए यह अकल्पनीय अनुभव रहा।

सरकारी विद्यालय की शिक्षिका अर्चना दुबे का कहना है कि इस वैक्सीनेशन सेंटर पर आकर उन्हें यह लगा ही नहीं कि वह किसी अस्पताल में आई हैं, बल्कि ऐसे लगा जैसे किसी उत्सव स्थल पर हो, क्योंकि संगीत गूंज रहा था, काउंटर पर गुब्बारे लगे हुए थे और लोग इत्मिनान से बैठे हुए थे। आमतौर पर अस्पतालों का नजारा थोड़ा भय पैदा करने वाला होता है मगर यहां ऐसा कुछ नहीं लगा, बल्कि वैक्सीनेशन सेंटर किसी उत्सव स्थल का आभास कराने वाला था।

वैक्सीनेशन केंद्र के प्रभारी जेमोन थामस का कहना है कि, यहां कोवेक्सीन व कोविशील्ड दोनों के डोज उपलब्ध है और लोगों का 24 घंटे यहां वैक्सीनेशन किया जाता है, रात के समय तभी वैक्सीन दे पाते हैं जब कम से कम पांच लोग हों। आम लोगों की संतुष्टि ही सफलता का पैमाना है और ऐसा हो रहा है इससे लगता है कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं।

मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग और केयर इंडिया के बीच हुए करार के मुताबिक चार वैक्सीनेशन सेंटरों का संचालन किया जा रहा है, वहीं आठ मोबाइल वैन शहर के अलग-अलग हिस्सों में जा रही हैं। काटजू अस्पताल के वैक्सीनेशन केंद्र में गर्भवती महिलाओं के लिए अलग काउंटर पिंक बूथ बनाया गया है, यह गुब्बारों से सजा हुआ है। साथ ही दिव्यांग और बुजुर्गों का खास ख्याल रखा जा रहा है। जरुरतमंदों को उनके वाहन में पहुंचकर भी वैक्सीन लगायी जाती है।

 

(आईएएनएस)

Created On :   7 Sep 2021 9:30 AM GMT

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