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कोरोना से मरने वाले लोगों के शवों को जलाने की विहिप ने की मांग

डिजिटल डेस्क,मुंबई। कोरोना के चलते जान गवाने वाले सभी धर्म के लोगों के शवों के अग्निसंस्कार से जुड़े आदेश को वापस लेने को विश्वहिंदू परिषद (विहिप) ने तुष्टिकरण की राजनीति बताया है। विहिप के प्रवक्ता और सह मंत्री श्रीराज नायर ने कहा कि मौजूदा समय में पूरी दुनिया में कोरोना पीड़ितों की मौत के बाद उनके शव जलाए जा रहे हैं लेकिन भारत में मुस्लिम समाज के लोग कोरोना पीड़ितों को जबरन दफना रहें हैं जिसके घातक परिणाम हो सकते हैं।
नायर ने कहा कि मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी के साथ भारत देश की आर्थिक राजधानी भी है और इसके चलते समूचे विश्व से लोगों का आना जाना मुंबई में लगा रहता है। इस महामारी के चलते मुंबई मनपा कमिश्नर प्रवीण परदेसी ने 2 दिन पहले एक सर्कुलर जारी किया था कि करोना वायरस की वजह से जिन लोगों की मौत होती है उन सभी के शवों को जलाया जाएगा। चाहे मरने वाला किसी भी धर्म विशेष का क्यों ना हो। नायर ने कहा कि कुछ ही घंटों के भीतर महाराष्ट्र केअल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से यह घोषित कर दिया कि मनपा कमिश्नर द्वारा जारी किए सर्कुलर को रद्द किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद इस आपदा के समय तुष्टीकरण की राजनीति की पूरी तरह से खंडन करता है और यह मांग करता है कि कमिश्नर द्वारा जारी किए सर्कुलर को फिर से लागू किया जाए और नागरिकों के सेहत के साथ खिलवाड़ न किया जाए।
दुनियाभर में हो रहा दाह संस्कार
नायर ने कहा कि समूचे विश्व में यह माना गया है अग्नि संस्कार पूर्ण रूप से इस विषाणु वायरस को मारने में वैज्ञानिक तौर से कारगर साबित हुआ है। पूरी दुनिया जानती है कि संक्रमित मृत शरीर को दफनाने से कोरोनावायरस जमीन के अंदर फैलता हुआ पानी के स्रोतों व अन्य स्थानों को प्रदूषित कर सकता है। इसलिए संक्रमित शरीर का दाह संस्कार करना ही एकमात्र उपाय है। दुनिया के सभी देश दाह संस्कार ही कर रहे हैं। इसके बावजूद भारत के मुस्लिम समाज के लोग इनको जबरदस्ती दफना रहे हैं। सरकार को चाहिए कि धर्म और जाति का विचार किए बिना संक्रमण से पीड़ित मृत शरीर को अनिवार्य रूप से दाह संस्कार करने का आदेश दे ताकि इस घातक बीमारी को और अधिक फैलने से रोका जा सके।
Created On :   2 April 2020 5:42 PM IST