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7 को सेवानिवृत्त होंगे कुलगुरु डॉ.काणे, विदाई समारोह नहीं

डिजिटल डेस्क,नागपुर । राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ.सिद्धार्थविनायक काणे7 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल में करीब 2 वर्ष विश्वविद्यालय में बगैर प्राधिकरणों के कामकाज चला। यानी इस दौरान प्रशासनिक फैसले उन पर निर्भर रहे। पांच वर्षों में उनके द्वारा किए गए अधिकांश वादे अधूरे भी रह गए। उन्हें अपने कार्यकाल में अमरावती रोड स्थित जमीन से अतिक्रमण हटवा कर नई प्रशासकीय इमारत तैयार करने और परीक्षा प्रणाली मजबूत करने में सफलता मिली। वहीं अपने कार्यकाल में वे विद्यार्थियों के लिए एक भी नया हॉस्टल नहीं बनवा पाए।
आधी परीक्षाओं की जिम्मेदारी कॉलेजों को सौंपने का उनका सपना कॉलेजों के विरोध के कारण सपना ही बन कर रह गया। वहीं वर्ष 2016 में पूनर्मूल्यांकन शुल्क लौटाने का उनका फैसला लंबे समय तक अमल में नहीं आ सका। हां पूनर्परीक्षा शुल्क विषय निहाय करने के उनके फैसले को खूब सराहना मिली। डॉ.काणे ने वर्ष 2015 में ही चार्ज संभालने के बाद ओपन डोअर पॉलिसी की घोषणा की थी। यानी विद्यार्थियों को सीधे कुलगुरु के पास आने की सुविधा दी जानी थी। लेकिन समय के साथ यह तस्वीर बदल गई। लंबे समय तक कुलगुरु के कैबिन के बाहर बाउंसर तैनात रहे, फिर एमएसएफ द्वारा सुरक्षा व्यवस्था संभालने के बाद उनका कार्यालय किले में तब्दील हो गया। विद्यार्थियों को उन तक पहुंचने के लिए कई स्तरों की सुरक्षा और पास बनवाने के झंझटों में पड़ना पड़ा।
नैक मूल्यांकन से दूर
नैक द्वारा नागपुर विश्वविद्यालय को दिए गए ए ग्रेड की वैधता दिसंबर 2019 में समाप्त हुई। नियमानुसार इसके काफी पहले विश्वविद्यायल को दोबारा मूल्यांकन पूरा करा लेना चाहिए था। लेकिन हुआ ठीक उलटा। मूल्यांकन की डेडलाइन बीतने के बाद भी अब तक विश्वविद्यालय की एसएसआर रिपोर्ट नैक को नहीं भेजी गई। विवि बार बार डेडलाइन से चूकता रहा। ऐसे में डॉ.काणे के सेवानिवृत्त होते होते विवि का मूल्यांकन नहीं हो सका।
विदाई समारोह नहीं होगा
मंगलवार को यूनिवर्सिटी में डॉ.काणे के लिए विदाई समारोह नहीं होगा। कोरोना संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन के बीच यह आयोजन संभव नहीं है। हां, लॉकडाउन खत्म होने के बाद कोई कार्यक्रम जरुर अपेक्षित है। डॉ.काणे ने 5 अप्रैल 2015 को कुलगुरु पद का चार्ज संभाला था। वे मूलत: यूनिवर्सिटी के सांख्यिकी विभाग में प्रोफेसर थे, प्रोफेसर पद से वे पिछले साल नवंबर में सेवानिवृत्त हो गए थे। अब मंगलवार को वे बतौर कुलगुरु भी सेवानिवृत्त होंगे।
लॉकडाउन में विद्यार्थियों में बढ़ रहा तनाव, विद्यार्थियों की काउंसलिंग के आदेश
लॉकडाऊन के कारण सभी विश्वविद्यालय और कॉलेज 14 अप्रैल तक बंद है। नागपुर समेत प्रदेश भर में 16 मार्च से यूनिवर्सिटी -कॉलेज बंद कराए गए थे। इस लंबे वक्त में घरों में बंद रहने पर मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। तनाव, डिप्रेशन, भय, असहजता और ऐसी कई समस्याओं से विद्यार्थियों को दो चार होना पड़ सकता है। ऐसे मामले बढ़ते देख कर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसे रोकने के लिए कदम उठाए है। यूजीसी ने प्रत्येक विश्वविद्यालय और कॉलेज को विद्यार्थियों को मानसिक रूप से फिट रखने की जिम्मेदारी दी गई है। अपने हालियां सर्कूलर में यूजीसी ने सभी कुलगुरुओं और प्राचार्यों को अपने यहां काउंसलर नियुक्त करने या किसी शिक्षक को यह जिम्मेदारी देने को कहा है। एक हेल्पलाईन के जरिए विद्यार्थियों की शंकाओं का समाधान करने के निर्देश दिए गए है। समय समय पर विद्यार्थियों के नाम पत्र या निर्देश जारी करने को कहा है। यूजीसी ने शिक्षा संस्थानों को सोशल मीडिया की मदद से विद्यार्थियों की काउंसलिंग करने को कहा है।
सहपाठियों की मदद करे
यूजीसी ने विद्यार्थियों को भी एक दूसरे की मदद करने को कहा है। हॉस्टल वार्डन या वरिष्ठ शिक्षक के मार्गदर्शन में हेल्प ग्रुप बनाने को कहा गया है। विद्यार्थियों को अपने सहपाठियों से संपर्क में रहना है। किसी साथी को जरुरत पड़ने पर उचित काउंसलिंग कराने को कहा गया है।
हेल्पलाइन, ट्यूटोरियल जारी किया
यूजीसी ने विद्यार्थियों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। विद्यार्थी 0804611007 पर संपर्क करके मदद पा सकते हैं। इसके अलावा यूजीसी ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म और यूट्यूब वीडियोज के जरिए ट्यूटोरियल भी जारी किए है।
Created On :   6 April 2020 7:56 PM IST