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कैंसल हो रहे आर्डर, कोर्ट जाएंगे प्लास्टिक व्यापारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार के जीआर से प्लास्टिक व्यापारी अंसमजस में आ गए हैं। सरकार के इस निर्णय के विरोध मेें व्यापारियों ने कोर्ट जाने की तैयारी की है। विदर्भ प्लास्टिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार ने महाराष्ट्र विघटनशील व अविघटनशील कचरा (नियंत्रण) कानून 2006 के तहत प्लास्टिक पर बैन को लेकर अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना के जारी होने के बाद से राज्य के प्लास्टिक उत्पादक, वितरक, विक्रेता और उपभोक्ता असमंजस की स्थिति में आ गए हैं। यहां तक कि कंपनियों को मिले आर्डर तक कैंसल होने लगे हैं। कई आर्डर तो दूसरे राज्यों को डाइवर्ट हो चुके हैं। इससे विदर्भ के प्लास्टिक उत्पादकों का भारी नुकसान हो रहा है। यह विचार उन्होंने विदर्भ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित पत्र परिषद में व्यक्त किए। इस अवसर पर वीआईए के अध्यक्ष अतुल पांडे, पूर्व अध्यक्ष प्रवीण तापडिया, सचिव सुहास बुद्धे, गिरधारी मंत्री, एनवीसीसी के अध्यक्ष हेमंत गांधी, एमआईए के अध्यक्ष कैप्टन रणधीर, बीएमए के सचिव मिलिंद कनाडे, होटल ओनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी भवानीशंकर दवे आदि प्रमुखता से उपस्थित थे।
जीआर में नहीं है स्पष्ट
अग्रवाल बताया कि सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना स्पष्ट नहीं है। समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या बनाएं और क्या न बनाएं। एक ओर देखा जाए तो चीन में कागज का उपयोग बंद कर प्लास्टिक के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यहां बैन लगाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक एनर्जी कन्जम्पशन का काम भी करता है। यदि इसका उपयोग बंद किया तो ग्लोबल वार्मिंग बढ़ सकती है। बैन को वापस लेने के लिए एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। उन्होंने आश्वासन दिया है। जीआर लागू होने के बाद से बहुत से व्यापारियों ने विरोध स्वरूप दुकानें भी बंद रखी है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि इंडस्ट्री सरकार से बातचीत कर इसकी खराबियों को दूर करने के लिए तैयार है।
95 प्रतिशत प्लास्टिक होता है रिसाइकल
प्रवीण तापडिया ने बताया कि 95 प्रतिशत प्लास्टिक को रिसाइकिल किया जाता है। प्लास्टिक वेस्ट नहीं, बल्कि वेस्ट वेल्थ है। इसका केवल 5 प्रतिशत हिस्सा नॉन रिसाइकेबल होता है। सरकार ने बगैर सोचे-समझे इस पर बैन लगाया है। बातचीत के द्वारा इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता था। रिसाइकिल के लिए बहुत सी मशीने हैं। प्लास्टिक के माध्यम से 5000 से भी अधिक परिवारों को रोजगार मिलता है। प्लास्टिक इंडस्ट्रीज में 10 हजार करोड़ से भी ज्यादा का निवेश है। बैन लगने से बहुत सी रकम एनपीए में चली जाएगी। हेमंत गांधी ने कहा कि एनवीसीसी इस लड़ाई में वीआईए और वीपीआईए के साथ है। इस दौरान प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट फोरम का गठन किया गया।
अब व्यापारी लड़ेंगे कानूनी लड़ाई
विदर्भ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से वीआईए, वीपीआईए, एनवीसी, विदर्भ डिस्पोजल एंड ट्रेडर्स एसो., एमआईए, बीएमए, एलयूबी, पैकेज्ड ड्रिंक वाटर एसाेसिएशन जैसे कई व्यापारी संगठनाें की संयुक्त बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक में एकमत से सरकार के इस फैसले का विरोध करने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का निर्णय संयुक्त सभा में लिया गया।
Created On :   29 March 2018 2:36 PM IST