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सातवाहन काल में अंतरराष्ट्रीय व्यापार का केंद्र था विदर्भ का ‘अदम’

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ सातवाहन काल से महाविहार काल तक कई साम्राज्यों का अहम केंद्र रहा है। पुरातत्व विभाग को इससे संबंधित कई अहम सबूत भी मिले हैं। नागपुर से दक्षिण-पश्चिम में लगभग 68 किमी दूर भिवापुर तहसील में स्थित नगर ‘अदम’ उस समय का महत्वपूर्ण आंतरिक व्यापार केंद्र था। इसके साथ ही पास मे स्थित कुही के मांढ़ल में भी अत्यंत समृद्ध नगर के अवशेष मिले हैं। अब तक हुए उत्खनन कार्य में विदर्भ के अदम, मांढ़ल और मनसर में सातवाहन से लेकर वाकाटक काल में कई महत्वपूर्ण नगरों के अवशेष मिले हैं। पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार प्राप्त अवेशषों से पता चलता है कि ये नगर राजधानी और प्रमुख व्यापारिक केंद्र रहे होंगे।
अदम और मांढ़ल में मिले साक्ष्य दोनों शहरों के व्यापारिक केंद्र होने का साक्ष्य हैं। पुरात्व विभाग की ओर से वहां की गई खुदाई में रोमन साम्राज्य के सोने व चांदी के सिक्के मिले हैं। हालांकि इन सिक्कों पर मिले खरोंच के निशान से ऐसा लगता है कि प्रचलित सिक्के होने की जगह ये बुरियल (सिक्के की जगह धातु के रूप में उपयोग किए जाने वाले) हैं।
सिक्कों पर रोमन राजा की छवि
इन सिक्कों पर रोमन राजा टाइबिरियस की छवि है। टाइबिरियस का शासन काल पहली शताब्दी के दौरान था। सिक्कों के मिलने के बाद इस दिशा में शोध किया गया कि क्या उस समय विदर्भ में राेमन साम्राज्य था। पर सिक्कों पर खरोंच के निशान और क्षतिग्रस्त होने के कारण साफ है कि ये किसी राजा के द्वारा अपने साम्राज्य के सबूत के रूप में ढाले बए सिक्के नहीं थे, बल्कि व्यापारियों द्वारा आदान-प्रदान के लिए उपयोग में लाए जाने वाले बुरियल हैं। इसके साथ ही ऐसी मूर्तियां भी मिली हैं, जिनकी शक्ल व केश सज्जा रोमन शैली की है। इससे भी पता चलता है कि उस समय इस प्रदेश में रोमन लोगों का नियमित आना-जाना था।
सबसे पहले किसान को मिले थे सिक्के
‘अदम’ में सबसे पहले 1970 में एक किसान को खेत की जुताई के दौरान एक मटके में रखे 11 सोने के सिक्के मिले थे। इसके बाद आर्कियोलाॅजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से यहां उत्खनन कार्य शुरू किया गया। खनन में मिले चांदी के सिक्कों, बर्तन व अन्य साक्ष्यों से ‘अदम’ के पुरात्विक स्थल होने का पता चला। इसके बाद 1977-78 में कुही के माढ़ल में भी उत्खनन शुरू हुआ। वहां मिले साक्ष्यों से पूरे इलाके का सातवाहन ईसा पूर्व 230 से दूसरी सदी तक और वाकाटक साम्राज्य 300 से 500 सदी के दौरान अहम केंद्र होने के सबूत मिले हैं।
पेरीप्लस, टालमी के लेखों में उल्लेख
अंतराष्ट्रीय यात्री पेरीप्लस और टालमी के लेखों व सातवाहन लेख एवं मुद्राओं से सातवाहन काल में उन्नत अंतराष्ट्रीय व्यापार संबंधों का जिक्र मिलता है। व्यापार (वाणिज्य) को शासकों द्वारा पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाती थी। नगर में पैठन (प्रतिष्ठान), तगर, जुन्नार, करहाटक, नासिक, वैजयंती, धान्यकटक, विजयपुर अदम, माढल प्रसिद्ध व्यापारिक नगर हुआ करते थे।
साक्ष्य बताते हैं व्यापारिक केंद्र
प्राचीन भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक मार्गों पर किए गए अपने अध्ययन में प्राचीन इतिहास के विशेषज्ञों डॉ. मोतीचंद, डॉ. अमरेंद्र नाथ ने जो मार्ग बताए हैं, वे विदर्भ के ‘अदम और माढल’ के करीब से गुजरते हैं। इससे भी पता चलता है कि सातवाहन काल में ये नगर प्रमुख व्यापारिक केंद्र रहे होंगे।
- प्रीति त्रिवेदी, विभाग प्रमुख, प्राचीन इतिहास व पुरात्व विभाग, रातुम विवि, नागपुर
Created On :   16 Dec 2019 3:14 PM IST