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ग्रामीणों ने पकड़ी ईंधन के लिए जंगल की राह

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। धुआंमुक्त रसोई तथा प्रदूषण को रोकने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना शुरू की गई। किंतु गैस सिलेंडर के दाम आसमान छूने से जलाऊ लकड़ियां जुटाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों के कदम अब जंगल की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हंै। बता दें कि, कोरोना महामारी के कारण लोगों को गुजर-बसर के लिए वित्तीय संकटों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना काल में उम्मीद जताई जा रही थी कि सरकार इस पर कोई ठोस उपाययोजना करेगी। लेकिन वर्तमान पेट्रोल, डीजल समेत घरेलु रसोई गैस सिलेंडर के दाम दिन-ब-दिन बढ़ रहे होने से नागरिकों को गुजर-बसर करना मुिश्कल हो गया है। वहीं लोग पुन: जंगल की लकड़ी काटकर चूल्हे पर भोजन बनाते दिखाई दे रही है।
बता दें कि, प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में अनुदान की राशि जमा किए जाने से अनेक लोगों ने इस योजना का लाभ लिया था। इससे जंगल से लकड़ियां लाना कम हो गया था और महिलाओं को धुआंमुक्त वातावरण मिल रहा था। लेकिन दूसरी ओर दिन-ब-दिन रसोई गैस सिलेंडर के दाम बढ़ने से चूल्हे पर भोजन बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के लोग जंगल में जाकर लकड़ियां लाते दिखाई दे रहे हंै। इससे उपलब्ध जंगल खतरे में होने से वन्यप्रेमियों में तीव्र नाराजगी जताई जा रही है। यह बता दें कि, राज्य के आखरी छोर पर बसे आदिवासी बहुल तथा नक्सलग्रस्त गड़चिरोली जिला यह पूरी तरह उद्योग विरिहत है। इस जिले में किसी भी तरह का उद्योग नहीं होने से जिले के नागरिक मजदूरी कर अपना जीवनयापन करते हंै। दूसरी ओर आए दिन रसोई गैस सिलेंडर के दामों में वृध्दि होने से गैस सिलेंडर खरीदना काफी मुश्किल हो गया है। देश समेत संपूर्ण राज्य में कोरोना महामारी के कारण लोगों को रोजगार मिलना मुिश्कल हो गया है। ऐसे में घरेलु गैस सिलेंडर का दाम हजार रुपए पार होने से लोग सिलेंडर खरीदने के बजाए जंगल जाकर लकडि़यां लाना पसंद कर रहे हैं। अनेकों ने गैस सिलेंडर का उपयोग करना भी बंद किया है। लेकिन जंगल में लकड़ियां लाने जानेवाले नागरिकों को वनविभाग की कार्रवाई का सामना भी करना पड़ रहा है। बता दें कि, वनविभाग जंगल में जाकर अवैध तरीके से पेड़ों को काटनेवाले लोगों पर कार्रवाई करना शुरू कर दिया है। इसके बावजूद भी लोग चोरी-छिपे जंगल से लकड़ियां लाते दिखाई दे रहे हंै।
Created On :   29 March 2022 4:19 PM IST