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आरोपी को जमानत से वंचित रखना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन : HC ने कहा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। जमानती अपराध में आरोपी को जमानत से वंचित करना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इस तरह के अपराध में जांच अधिकारी को आरोपी की हिरासत मांगने व मैजिस्ट्रेट को आरोपी को हिरासत में भेजने का अधिकार नहीं है। जमानती अपराध में आरोपी को जमानत मिलनी ही चाहिए। बांबे हाईकोर्ट ने एक आरोपी को जमानत प्रदान करने से जुड़े आदेश में यह बात कही है। सांगली में पुलिस ने एक होटल मालिक के खिलाफ सबूत नष्ट करने का मामला दर्ज किया था अभियोजन पक्ष के मुताबिक 17 जुलाई 2018 को सांगली के संजय नगर इलाके में स्थित होटल में बैठे दो ग्राहकों जाकिर जामदार व समाधान मंते के बीच विवाद हुआ था।
नशे की हालत में दोनों के बीच झगड़ा बढ़ता देख होटल कर्मचारी ने दोनों को होटल से बाहर निकाल दिया था। कुछ देर बाद जामदार ने होटल के बाहर मंते पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। इससे मंते की घटनास्थल पर मौत हो गई। इसके बाद होटल के मालिक ने मंते के शव को होटल के गेट के बाहर रखने को कहा। उस समय वहां पर काफी बारिश हो रही थी इसलिए मंते का खुन पानी में बह गया इससे मामले से जुड़े कई सबूत नष्ट हो गए। पुलिस का आरोप था कि होटल मालिक ने मामले से जुड़े सबूत नष्ट करने की कोशिश की। इसलिए पुलिस ने होटल मालिक के खिलाफ सबूत नष्ट करने का मामला दर्ज किया है। मामला दर्ज होने के बाद होटल मालिक ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दायर किया।
जमानत आवेदन व सरकारी वकील की दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति अनूजा प्रभुदेसाई ने कहा कि पुलिस का मामला यह नहीं है कि होटल मालिक ने मंते की हत्या करनेवाले आरोपी की मदद की है। जहां तक बात सबूत नष्ट करने का है तो यदि इसे मान भी लिया जाए तो यह जमानती अपराध है। इसलिए आरोपी जमानत मांग सकता है। न्यायमूर्ति ने कहा कि जमानती अपराध में आरोपी को जमानत से वंचित करना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने होटल मालिक को 25 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत प्रदान कर दी।
Created On :   29 Sept 2018 6:25 PM IST