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बच्चों में बढ़ा निमोनिया का खतरा, 45 बिस्तरों वाले वार्ड में भर्ती हैं दोगुने मरीज

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। हवाओं में घुले वायरस बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा बनते जा रहे है। इन वायरस की चपेट में आने से बच्चे निमोनिया का शिकार हो रहे है। शून्य से पांच साल तक के बच्चे सबसे ज्यादा इस बीमारी से ग्रसित हो रहे है। जिला अस्पताल में रोजाना लगभग 40 मरीजों को निमोनिया का इलाज दिया जा रहा है। इनमें से हालात गंभीर होने पर आठ से दस बच्चों को वार्ड में भर्ती किया जा रहा है। हालात यह है कि 45 बिस्तरों वाले शिशु वार्ड में 70 बच्चे भर्ती है। शिशु रोग विशेषज्ञों ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है जो वैक्टिरिया, वायरस और फंगस की वजह से फैलता है। जिन बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, वे सर्वाधिक प्रभावित हो रहे है। निमोनिया से पीडि़त गंभीर बच्चों को वार्ड में भर्ती किया जा रहा है। छुट्टी के बाद भी मरीजों की संख्या में रोजाना इजाफा हो रहा है।
फेफड़े में पानी भरने की समस्या
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. हितेश रामटेके ने बताया कि जब शरीर इस संक्रमण से लडऩे के लिए श्वेत रक्त कोशिकाओं को भेजता है तो फेफड़े में तरल पदार्थ भर जाता है। जो निमोनिया का कारण बनता है। निमोनिया से संक्रमित मरीज के फेफड़े में सूजन की समस्या आती है। सही समय पर इलाज न मिलने पर कमजोरी के साथ-साथ मरीज की हालत गंभीर हो जाती है।
सर्दी-खांसी और तेज बुखार के बढ़े मरीज
मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। जिला अस्पताल में तेज बुखार, सरदर्द, सर्दी-खांसी के दो सौ से अधिक मरीज इलाज कराने पहुंच रहे है। चिकित्सकों ने बताया कि मौसम में बदलाव की वजह से संक्रमण फैल रहा है। एक सप्ताह तक रहने वाले इस मौसमी बुखार के मरीज लम्बे समय तक शरीर दर्द से पीडि़त रहते है। शरीर में पानी की कमी जैसी समस्याओं से पीडि़त मरीजों को भर्ती कर इलाज दिया जा रहा है।
डॉक्टर दे रहे यह सलाह
- बच्चों की पसली चलने पर अस्पताल लाकर इलाज कराएं।
- संक्रमित बच्चे को स्वस्थ्य बच्चों से अलग रखें।
- साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।
- बड़े बच्चों को मास्क पहनाकर रखें, ताकि संक्रमण न फैले।
Created On :   11 Oct 2018 1:26 PM IST