- Home
- /
- विदर्भ के 3920 गांवों में भीषण...
विदर्भ के 3920 गांवों में भीषण जलसंकट, जल योजनाओं से भी नहीं बन रहा काम

लिमेश कुमार जंगम , नागपुर। गर्मी अपने चरम पर है। अनेक जलस्रोत सूख चुके हैं जिनमें जल शेष है उनसे और कितने दिन गुजारा चलेगा कहना मुश्किल है। जलसंकट की यह स्थिति पूरेे विदर्भ में है। स्वरूप की योजनाओं को पूर्ण रूप से साकार नहीं किए जाने के कारण आज भी पूर्व विदर्भ के नागपुर, चंद्रपुर, वर्धा, भंडारा व गोंदिया जिलों में मौजूद कुल गांवों में से 3920 गांवों में भीषण जलसंकट की समस्या ने दस्तक दी है। इनमें से 2537 गांवों के लिए स्थानीय प्रशासन ने 3628 उपाय योजनाएं बनाकर उसे प्रशासनिक मंजूरी प्रदान की है। इसके लिए बाकायदा 46 करोड़ 2 लाख 79 हजार रुपए निधि के खर्च का प्रावधान किया गया है। तकरीबन हर साल इतनी राशि अस्थायी उपायों पर खर्च कर दी जाती है। पुन: ग्रीष्मकाल में इसी प्रक्रिया को दोहराया जाता है। जलसंकट की इस समस्या को जड़ से खत्म करने की दिशा में ठोस कदम उठाने में कोताही बरतने का खामियाजा सरकार व प्रशासन के अलावा स्थानीय ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। मई माह में हर बार ग्रामीणों की स्थिति बदतर हो जाती है।
97.46 में से मात्र 46 करोड़ के प्रस्ताव मंजूर
संभाग के 5 जिलों के लिए ग्रीष्मकाल के पूर्व ही प्रस्ताव तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की गई। प्रशासन ने 3920 गांव एवं 56 बस्तियों के लिए कुल 7759 योजनाओं का प्रस्ताव तैयार किया था। इसके लिए कुल 97 करोड़ 46 लाख 12 हजार रुपए का प्रस्ताव बनाया गया। इस प्रस्ताव को प्रशासनिक मंजूरी देते समय अनेक योजनाओं को नामंजूर कर दिया गया। प्रशासन के आला अफसरों ने आवश्यक व खामियों से मुक्त 3628 योजनाओं को ही अंतिम मंजूरी दी है। इन योजनाओं को 2537 गांव एवं 55 बस्तियों में क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके लिए प्रशासन ने 46 करोड़ 2 लाख 79 हजार रुपए के बजट को अंतरिम मंजूरी दे दी। वर्तमान में 885 गांव एवं 36 बस्तियों में 1243 योजनाएं चल रही हैं। इस पर 18 करोड़ 89 लाख 34 हजार रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
पूर्व विदर्भ के 6 में से 5 जिलों के ग्रामीण इलाकों के लिए स्थानीय जिला प्रशासन की ओर से हर वर्ष विविध योजनाएं बनाई जाती हैं, लेकिन जलसंकट से निपटने के लिए स्थायी समाधान की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। इस कारण प्रत्येक ग्रीष्मकाल में टैंकर, कुओं का अधिग्रहण एवं अन्य उपायों पर सरकार को करोड़ों की राशि खर्च करने की नौबत आ जाती है। बावजूद इसके स्थायी स्वरूप की योजनाएं आज भी कछुआ गति से चलने के कारण साकार नहीं हो पा रही हैं।
कहां खर्च होंगी 46 करोड़ की निधि
जलसंकट से निपटने के लिए इस वर्ष जो उपाय किए हैं, उसमें 1565 नए हैंडपंपों का निर्माण, 734 नल योजनाओं का सुधार, 787 हैंडपंपों का सुधार, 15 अस्थायी नल योजना, 6 टैंकरों से जलापूर्ति, 419 कुओं का गहराईकरण करना व मलबा निकालना, 102 निजी कुओं को अधिग्रहित करना आदि का समावेश है। इन सभी 3628 उपायों पर 46.02 करोड़ खर्च होंगे।
नागपुर जिले के 919 गांव संकटग्रस्त
वैसे तो नागपुर जिले के जलसंकट से ग्रस्त गांवों की सूची व प्रस्ताव तैयार करते समय कुल 1156 गांवों को शामिल किया गया था। इनके लिए 3029 उपाय योजनाएं बनाकर 50 करोड़ 57 लाख 87 हजार रुपए का प्रस्ताव तैयार किया गया था, परंतु प्रशासनिक मंजूरी केवल 919 गांवों को ही दी गई। इन 919 गांवों के लिए प्रशासन ने 1296 योजनाओं को अंतिम मंजूरी प्रदान करते हुए 21 करोड़ 22 लाख 81 हजार रुपए के प्रस्ताव को मान्य किया। वर्तमान में 263 गांवों में 308 योजनाओं का क्रियान्वयन जारी है। इसके लिए 7 करोड़ 95 लाख 81 हजार रुपए खर्च किए जा रहे हैं। जबकि प्रशासन का दावा है कि 69 गांवों में 168 उपाय योजनाओं के कार्यों की पूर्ति की जा चुकी है, जिस पर 1 करोड़ 96 लाख 69 हजार रुपए खर्च किए गए हैं। 159 नए हैंडपंपों का निर्माण एंव 9 नल योजनाओं का सुधार कार्य करने का दावा किया गया है।
517 गांवों में 920 योजनाओं की पूर्ति
प्रशासन का दावा है कि उन्होंने इस ग्रीष्मकाल के शुरुआत से अब तक कुल 517 गांवों एवं 6 बस्तियों के लिए 920 योजनाओं को पूर्ण कर लिया गया है। इसके लिए प्रशासन ने संबंधित योजनाओं पर 6 करोड़ 50 लाख 43 हजार रुपए भी खर्च कर दिए हैं। इसके बावजूद अनेक स्थानों पर जलसंकट से अपेक्षानुसार निपटा नहीं जा सका है। प्रशासन का दावा है कि नए 561 हैंडपंपों का निर्माण कराया है। वहीं 9 नल योजनाओं के सुधार कार्य को निपटा लिया गया है। साथ ही 349 हैंडपंपों का सुधार कार्य पूर्ण करने की रिपोर्ट प्रशासन के आला अधिकारियों को सौंपी गई है।
Created On :   7 May 2018 12:39 PM IST