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सरकारी नीति के विरोध में जल, जंगल और जमीन का संघर्ष

डिजिटल डेस्क, सुरजागढ़ (गड़चिरोली)। दस रुपए और एक मुट्ठी चावल एकत्रित कर आदिवासी अपने अधिकार के लिए आंदोलन करने जा रहे हैं। राज्य के नक्सल प्रभावित जिले गड़चिरोली के सुरजागढ़ में भले ही सरकार ने विकास के नाम पर लौह खदान शुरू कर दी हो, लेकिन स्थानीय आदिवासियों को यह फैसला उनके वजूद के खिलाफ नजर आ रहा है। यही वजह है कि जब सरकारी स्तर पर कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने इसके खिलाफ संघर्ष करने की अलग ही रणनीति बना ली। सुरजागढ़ के आदिवासियों ने तय किया कि जंगलों में खदान आवंटित करने की सरकारी नीति के खिलाफ बड़े स्तर पर मोर्चा और आंदोलन खड़ा करने के लिए अच्छा खासा फंड इकट्ठा करेंगे। जिसमें संबंधित गांवों का निवासी हर परिवार दस रुपए और एक मुठ्ठी चावल का योगदान करेगा। ग्रामीण यह राशि तेंदूपत्ता और बांस से मिलने वाली एक प्रतिशत रॉयल्टी से बचाकर दे रहे हैं। आदिवासियों का कहना है कि सुरजागढ़ में शुरू की गई लौह खदान सरकार का एकतरफा फैसला है। केवल दिखावे के लिए खदान से सौ किलोमीटर दूर जनसुनवाई की जा रही है। स्थानीय नागरिकों द्वारा इसका बहिष्कार किए जाने के बाद शहरों से अन्य लोगों को लाकर खानापूर्ति की जा रही है।
दिया आश्वासन
संबंधित परिक्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि खदान के लिए जारी विरोध को शांत करने के लिए रोजगार देने की बात कही गई है। पचास ट्रक देने का भी लालच दिया गया है। इसके लिए 55 प्रतिशत अनुदान केंद्र व राज्य सरकार द्वारा देने की जानकारी दी जा रही है। शेष रकम संबंधित व्यक्ति को कर्ज के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। बताया गया है कि यह ट्रक खदानों से माल ढुलाई के लिए किराए पर लगाए जाएंगे।
तीन दिवसीय महाग्रामसभा
सुरजागढ़ और भामरागढ़ जिले की पांच तहसीलों के आदिवासियों ने तीन दिवसीय महाग्रामसभा आयोजित की है। जिसमें आंदोलन का प्रारूप और दिशा तय की जाएगी। आदिवासी पहाड़, जंगल और जल को अपना भगवान मानते हैं, इसी मान्यता के आधार पर वे हजारों हेक्टेयर वन भूमि पर बुलडोजर चलाए जाने के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि अगर खदान का काम आगे बढ़ाया जाता है तो करीब 40 हजार 900 एकड़ जमीन ही नहीं, वन संपदा नष्ट हो जाएगी। 40 गांव भी विस्थापित होंगे। जिसके लिए पुर्नवसन की कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है।
आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए भामरागढ़ और सूरजगढ़ में तीन दिवसीय ग्राम सभा बुलाई गई है। इसमें गड़चिरोली जिले की पांच तहसील के आदिवासी शामिल होंगे।
-एड. लालसू नागोटी, जिप सदस्य, भामरागढ़
अधिकारियों ने जान-बूझकर सुरजागढ़ के बजाय आल्लापल्ली में जनसुनवाई का आयोजन किया है। जिसमें बाहरी लोगों को बुलाया गया है। अपने हित साधने के लिए प्रशासन खुद ही कानूनों का उल्लंघन कर रहा है।
-कल्पना आलाम, सरपंच, सुरजागढ़
गोटुल समिति के खाते में जमा हो रहे पैसे
खदानों की मंजूरी के फैसले के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने के लिए भामरागढ़ पटटी पारंपरिक गोटुल समिति का गठन किया गया है, जिसके खाते में पैसे जमा किए जा रहे हैं। हर परिवार एक मुठ्ठी चावल और दस रुपए की राशि दे रहा है। इससे पहले भी स्थानीय नागरिकों ने इसी तर्ज पर पैसा इकट्ठा कर दो प्रतिनिधियों को जिला परिषद चुनाव जीतने में खासी मदद की, जिससे उनका प्रतिनिधित्व तैयार हो सके।
Created On :   3 Jan 2019 12:41 PM IST