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कुओं का घटने लगा जलस्तर, जलसंकट के आसार

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। गड़चिरोली जिले में बारह माह बहनेवाली नदिया हाेनेे के बावजूद भी इस जिले के नागरिकों को प्रति वर्ष ग्रीष्मकाल के दिनों में जल किल्लत का सामना करना पड़ता है। इस वर्ष फरवरी से ग्रीष्मकाल की आहट महसूस की जा रही है। जिले में बड़े पैमाने पर कुएं हैं। किंतु अधिकतर कुओं में जलस्तर कम होते दिखाई दे रहा है। फलस्वरूप आनेवाले दिनों में नागरिकों को पानी की किल्लत का सामना न करना पड़े इसलिये सरकार इन कुओं में इनवेल बोअरवेल लगाए, ऐसी मांग जिले के नागरिकों द्वारा की जा रही है।
सरकार और प्रशासन द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जिले के नागरिकों को जलापूर्ति करने का प्रयास किया जा रहा है। किंतु जिले के अधिकतर हिस्सों में ग्रीष्मकाल के दिनों में जलसंकट निर्माण होता है। जिसके कारण नागरिकों को पीने के पानी के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। जिससे इस परिसर में इनवेल बोअरवेल लगाने की आवश्यकता है। जिले में हजारों कुओं का निर्माण किया गया है। जिनमें से कुछ कुओं का उपयोग खेती के सिंचाई के लिये किया जाता है तथा कुछ जगहों पर पेयजल के लिये इन कुओं का उपयोग किया जा रहा है। इन कुओं का पानी जिन गांवों में पीने के लिये उपयोग किया जा रहा है, उन गांवों में नागरिकों की स्वास्थ्य समस्या बढ़ रही है। कुछ जगहों पर पीने के पानी के लिये नल जलापूर्ति योजना देने का प्रयास जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। जिन गांवोंं में नल जलापूर्ति योजना कार्यान्वित है, उन गांवों में पीने के पानी की समस्या नहीं है। मात्र जिन गांवों में नल जलापूर्ति योजना नहीं है, उन गांवों में प्रतिवर्ष ग्रीष्मकाल में नागरिकों को पेयजल के लिये भटकना पड़ता है। जिले के भामरागड़, सिरोंचा, मुलचेरा, चामोर्शी, एटापल्ली, धानोरा, कोरची, कुरखेड़ा, देसाईगंज, आरमोरी तहसील समेत गड़चिरोली तहसील में भी अभी से कुओं का जलस्तर कम होते दिखाई दे रहा है। फलस्वरूप आगामी दिनों में जिले के नागरिकों को पेयजल के लिये भटकना पड़ सकता है।
Created On :   3 Feb 2022 8:06 PM IST