- Home
- /
- पानी की तलाश में गांव छोड़ रहे लोग,...
पानी की तलाश में गांव छोड़ रहे लोग, जानिए क्या है इन गांवों की हकीकत

संजयकुमार ओझा,वर्धा। गर्मी शुरू होते ही ग्रामीण अंचल में जलसंकट की भयावह स्थिति बन गई है। हालात ऐसे हैं कि मजबूरीवश लोग गांव छोड़कर जा रहे हैं। वर्धा जिले के तीन तहसीलों के अनेक गांवों के भीषण जलसंकट निर्माण हुआ है। सैकड़ों परिवार पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था नहीं होने से पलायन कर रहे हैं। यह परिवार अधिकांश गवली समाज के हैं । पलाायन करने वाले सेलू तहसील के हेटी सोंडी , आमगांव, सालई, रायपुर जंगली, आर्वी तहसील का मालेगांव ठेका, कारंजा घाडगे तहसील का कन्नमवारग्राम, बांगडापुर के रहने वाले हैं।
सैकड़ों परिवार हर साल उठाते आ रहे हैं परेशानी
जानकारी केे अनुसार जिले के सेलू तहसील के सालई गांव के 10 परिवार, हेटी गांव के 52 परिवार, आमगांव के 25 परिवार, सोंडी के 20 परिवार, सालई के 10 परिवार, रायपुर जंगली के 10 परिवार, आर्वी तहसील के मालेगांव ठेका के 10 परिवार, कारंजा घाडगे तहसील के बांगडापुर गांव के 15 परिवार तथा कन्नमवारग्राम के 15 परिवार गर्मी के दिनों में हर साल होने वाली जलसंकट की स्थिति से परेशान हैं। प्रशासन से बार-बार शिकायत करने के बावजूद इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बताया जाता है इन गांवो में जनप्रतिनिधियों ने हैन्डपंप बनाए हैं लेकिन गर्मी के दिनों में हैन्डपंप हवा फेंकने लगता है। जलापूर्ति के दूसरे कोई उपाय नहीं किए गए हैं। पलायन करनेवाले परिवारों के घरों में तीन-चार माह तक ताला लगा रहता है। पलायन के कारण ही गवली समाज के बच्चे व युवा शिक्षा से वंचित हो रहे हैं और गवली समाज में निरक्षरता का प्रमाण बढ़ गया है।
एक परिवार के पास 25 से अधिक पशुधन
सेलू तहसील अंतर्गत आनेवाले 10 से 15 गांवों से पलायन करनेवाले ग्रामीणों के एक-एक परिवार के पास करीब 25 से अधिक पशुधन है। ऐसे में ग्रीष्मकाल में पानी तथा चारे की गंभीर समस्या निर्माण होने से इन पशुधन को कैसे बचाए? इस समस्या में ग्रामवासी पानी के लिए दूसरे गांवो में अपने जानवरों के साथ पलायन करते हैं।
तीन पीढिय़ों से चला आ रहा सिलसिला
गांव के ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन है। ऐसे में ग्रीष्मकाल की आहट होते ही पानी की समस्या निर्माण हो जाती है। जिस कारण पशुपालक अपने पूरे परिवार तथा पशुधन के साथ गांव से पलायन कर रहे हैं। गत तीन पीढिय़ों से यह सिलसिला जारी होकर, जिसका परिणाम बच्चों की शिक्षा पर हो रहा है। मार्च माह में पलायन करना अनिवार्य हो जाता है। ऐसे में बच्चे पढ़ नहीं पाते। उन्हें स्कूल अधर में छोड़कर ले जाना पड़ता है। परिणाम स्वरूप अनेक गांवों के बच्चे अशिक्षित है। मात्र 4 थी से 5वीं तक की पढ़ाई बड़ी मुश्किल से कर पा रहे हैं। ( प्रेमकांता उत्तमराव चावरे, सरपंच, सोंडी-हेटी)
इन नेताओं को ध्यान देने की है जरूरत
क्षेत्र के सांसद रामदास तड़स हैं। उनकी पार्टी केन्द्र और राज्य दोनों जगह सत्ता पर है इसलिए यहांं की जनता को उम्मीद थी कि तड़स यहां के गांव वालों के लिए कुछ करेंगे लेकिन अब तक कोई योजना यहां नहीं पहुंची है। इसी तरह विधायक अमर काले, पूर्व विधायक दादाराव केचे, विधायक डा. पंकज भोयर से भी जनता आस लगाए हुए हैं।




Created On :   23 March 2018 2:59 PM IST