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नोट के बदले में वोट मांगने में कैसी शर्म, जानिए क्या कहते हैं यहां के मतदाता

संजय देशमुख ,नेपानगर। महाराष्ट्र के अमरावती जिले में धारणी तहसील से 15 किमी की दूरी पर मध्यप्रदेश के नेपानगर विधानसभा क्षेत्र की सीमा प्रारंभ होती है। राज्य का आखरी छोर है, जो तापी नदी के किनारे है। जिला बुराहनपुर है। अस्सी फीसदी मतदाता आदिवासी, इसलिए सीट अनुसूचित जाति (एसटी) वर्ग के लिए आरक्षित है। 185 गांव शामिल हैं। 145 किमी लंबा क्षेत्रफल। धारणी से आगे निकलते ही चमचमाती सड़कें पलके बिछाए आपका स्वागत करती है। 15 वर्ष पहले सड़क, पानी और बिजली पर सत्ता खोने वाली कांग्रेस से सबक सीखते हुए शिवराज सरकार ने इस बात का खासा ध्यान रखा है। पर्याप्त पानी की सुविधा देखने को मिली। चुनाव का असर इतना कि हमें तो शाम चार बजे ही बिजली खंभे पर बल्ब जलते हुए दिखाई दिए। पहला पड़ाव धावटी गांव जहां की जनसंख्या 350 है।
सत्तर पार मोतीलाल रामकिसन जावरकर खेतों में मजदूरी करते हैं। किस पार्टी की हवा बह रही है, पूछने पर दो टूक कहते हैं। जो खाने को देगा वोट उसको देंगे। मतलब साफ है। मजदूरी प्रतिदिन 100 से 150 रुपए मिलती है। इससे ज्यादा जो पार्टी देेगी इन लोगों का अमूल्य मत मूल्य में परिवर्तित होगा। यही राय प्रेमलाल मतिन धांडे, भैयालाल जुमन, और दूसरे लोगों ने व्यक्त की। इसकी वजह भी उन्होंने बतायी। सोमवार 26 नवंबर शाम पांच बजे मध्यप्रदेश में प्रचार समाप्त हो रहा है। पिछले डेढ़ माह से भाजपा-कांग्रेस को कोई राज्यस्तरीय या स्थानीय नेता ने इस गांव का दौरा नहीं किया। मतदाताओं का वाजिब सवाल है कि जब नेताओं को हमारे दुख-दर्द से कोई वास्ता नहीं है और उन्हें हमसे मिलने गांव में आने में शर्म आती है तो हमें क्यों, वोट के बदले में नोट मांगने में शर्म कैसी? मतदाताओं से सीधे संपर्क के नाम पर जरूर दोनों पार्टी के आॅटो रिक्शा घूम रहे हैं। रिक्शा पर लगे भोंपू पर शिवराज सिंह का गुणगान करने वाला गीत लगातार बजता रहता है। जिसमें एक पंक्ति है, आशीर्वाद के याचक है, आशीर्वाद मिले दोबारा, महाकाल का दुलारा-शिवराज हमारा। मजदूर भी अब मजबूर नहीं है, धनवान किसानों में बसते हैं, बूढ़ी आंखों का तारा-शिवराज हमारा। जब हमने गाने का मतलब लोगों को समझाया तो बोले आशीर्वाद तो रुपए के तराजू में तौला जायेगा।
विधायक के ममेरे भाई ने डकार लिए शौचालय
नेपानगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की मंजू राजेन्द्र दादु और कांग्रेस की सुमित्रा कासदेकर के बीच मुकाबला है। कन्हापुर निवासी मंजू अपने पिता के नाम पर वोट मांग रही है। तीन बार विधायक रहे राजेन्द्र दादु की वर्ष 2016 में मौत हुई। उपचुनाव में बेटी को टिकट मिला। तब प्रचार के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जरूर कुछ गांवों में दौरा किया था। तब से न मुख्यमंत्री न ही मौजूदा विधायक ने जनता को मुंह दिखाया। दिखायी नहीं दी। बेलतड -धावटी गांव में विधायक सुश्री मंजू का ममेरा भाई मुनेश मोजीलाल काजले सरपंच था। मुनेश ने सरकारी शौचालय ही डकार लिए। शिकायत हुई तो पद से हटाया गया। अभी जगन बंसी सरपंच है।
ड़ेढ लाख मिलते हैं 25 हजार ग्राम पंचायत हड़प लेती
सरकार आवास बनाने के लिए ड़ेढ लाख रुपए की राशि देती है। उनमें 25 हजार पंचायत समिति के पदाधिकारी रख लेते हैं। अर्जियों की फेहरिस्त लंबी है, लेकिन वजन रखने पर नाम लाभार्थी सूची में आ जाता है।
आंखों के सामने बेटे ने दम तोड़ा
निमाड आदिवासी विकास कार्यक्रम अंतर्गत हरणासिंह मौसेकर को सरकार की ओर से मुर्गीपालन के लिए 1200 रुपए के बदले में 40 चूजे मिले। हरणासिंह पांच भाई है और ढाई एकड़ खेती है। जैसे तैसे गुजारा हो रहा है। चूजे तो ले लिए लेकिन एक महीने के खाद्य का खर्च आधा क्विंटल यानी 1400 रुपए। चूजों को खाद्य खिलाते-खिलाते माथे पर बल आ रहे हैं। इसी दौरान 2 नवंबर को दस वर्षीय बेेटे नितीन की इलाज के अभाव में मौत हो गई। नितीन को कोई लोहे की चीज लगी थी। जाम बढ़ने पर तहसील खकनार के सरकारी अस्पताल में ले गए। बेटा तड़प रहा था लेकिन कोई डाॅक्टर देखने वाला नहीं था। बुराहनपुर ले गए। लेकिन वहां भी डाक्टर उपलब्ध नहीं थे। हरणासिंह के आंखों के सामने ही बेटे ने दम तोड़ दिया।
मकान बनवा लिए 20 परिवारों को नहीं मिली मजदूरी
धारणी से 20 किमी दूरी पर मोंदरा गांव में आवास योजना के नाम पर कुछ मकान बनाए गए है। लेकिन 20 परिवार ऐसे हैं जिन्हें पिछले दो वर्ष से 20 हजार रुपए प्रति हिसाब से मजदूरी नहीं मिली।
Created On :   24 Nov 2018 3:31 PM IST