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बाल विवाह रोकने राज्य सरकार ने कौन से कदम उठाए

डिजिटल डेस्क ,मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि उसने महाराष्ट्र में बाल विवाह को रोकने के लिए कौन से कदम उठाए हैं। हाईकोर्ट ने सरकार को इस संबंध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति अमजद सैयद व न्यायमूर्ति अभय अहूजा की खंडपीठ ने कहा कि बाल विवाह के अपराध को लेकर शायद ही कोई मामला दर्ज होता है। खंडपीठ के सामने राज्य में बाल विवाह के मुद्दे व राज्य में बाल विवाह प्रतिबंधक कानून(पीसीएमए) को सख्ती से अमल में न लाने के मुद्दे को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। पीसीएमए कानून के तहत 21 साल से कम उम्र के लड़के व 18 साल से कम आयु की लड़की के विवाह पर रोक है।
सोमवार को सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि सरकार हमे बताए कि उसकी ओर से बाल विवाह रोकने की दिशा में कौन से कदम उठाए गए है। क्योंकि याचिका के मुताबिक बाल विवाह को रोकने से जुड़े नियम अभी भी आकार नहीं ले पाए है। खंडपीठ ने कहा कि ऐसा प्रतित होता है कि बाल विवाह प्रतिबंधक कानून के तहत शायद ही कोई अपराध दर्ज होता हो। इस तरह खंडपीठ ने इस मामले में राज्यसरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करेते हुए अब इस याचिका पर अगली सुनवाई 13 जून को रखी है और सरकार को हलफनामा दायर करने को कहा है। इस विषय पर सामाजिक कार्यकर्ता नंदिनी जाधव सहित अन्य लोगों ने जनहित याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता असीम सरोदे व अजिंक्य उडाने ने खंडपीठ के सामने दावा किया कि हर साल राज्यभर में एक लाख बाल विवाह होते है। याचिका के मुताबिक कम उम्र में विवाह होने के चलते लड़की के जीवन में विपरीत असर पड़ता है। लड़किया शिक्षा व अच्छी सेहत पाने के अधिकार से वंचित होती है। इसके चलते तउम्र लड़किया आर्थिक परेशानी झेलती है। कम आयु में विवाह के चलते वे जल्दी गर्भवती हो जाती है। इसका उनके सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इसलिए जरुरी है कि पीसीएमए कानून को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए।
याचिका में सुझाव स्वरुप मांग की गई है कि पीसीएमए कानून को सख्ती से लागू करने के लिए पूरे राज्य में कार्यकारी अधिकारियों की नियुक्ति की जाए। इस अधिकारी के मत को कानूनी महत्तव दिया जाए। जो मामला दर्ज कराने व जांच करने का आधार हो सके। बाल विवाह से मामलो के लिए पुलिस अधिकारियों के अधिकार को भी बढाया जाए। याचिका में आग्रह किया गया है कि विशेष बाल पुलिस इकाई बनाने की दिशा में भी कदम बढाए जाए। क्योंकि बालविवाह रुपी सामाजिक कुरिती का खात्मा होना जारुरी है। इसलिए पीसीएमए कानून के लागू करने के लिए नियम तैयार किए जाए। याचिका में आग्रह किया गया है कि बाल विवाह के प्रकरण में मामला तो दर्ज हो ही। इसके साथ ही ऐसे विवाह को रद्द करना भी सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही कोर्ट की ओर से इस मामले को लेकर उपयुक्त दिशा-निर्देश जारी किए जाए। याचिका में कहा कि गया है कि इस विषय को लेकर चाइल्ड लाइन व अन्य गैर सरकारी संस्थाओं की कमेटी भी बनाई जाए।
Created On :   18 April 2022 7:28 PM IST