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बच्चों की तस्करी रोकने के लिए मध्य प्रदेश में बनाया गया Whatsapp Group

डिजिटल डेस्क, भोपाल। आज के समय में छोटे-छोटे बच्चों की तस्करी दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक हैं। दुनियाभर के देश इससे निपटने के लिए कई तरह के प्रोग्राम चला रहे हैं। भारत में भी बड़े पैमाने पर बच्चों की तस्करी के खुलासे हुए हैं। सरकार इसे रोकने के प्रयास तो कर रही है लेकिन समस्या जटिल है। इसे रोकने के लिए कुछ नए विचार और नए कार्यक्रम की जरूरत है। ऐसा ही एक कार्यक्रम मध्यप्रदेश में शुरू हुआ है। आरंभ संस्था ने रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) और गवर्मेंट रेलवे पुलिस (GRP) के सहयोग से बच्चों की तस्करी रोकने के लिए वाट्सएप ग्रुप बनाया है। इस ग्रुप में प्रदेश भर के RPF और GRP के अधिकारी और चाइल्ड लाइन कॉर्डिनेटर होंगे। इस ग्रुप की मदद से मानव तस्करी होने पर रियल टाइम में सूचना प्रदेशभर के RPF, GRP के अधिकारी और चाइल्ड लाइन कॉर्डिनेटर के पास पहुंच जाएगी, जिससे लापता हुए बच्चों को ढूंढना आसान होगा।
ग्रुप का नाम बाल सुरक्षा समुह है। इसमें RPF, GRP के अधिकारी और विभिन्न जिलों के चाइल्ड लाइन कॉर्डिनेटर के साथ ही जुवेनाइल सहायता ब्यूरो के अधिकारी और बाल सुरक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं के कार्यकर्ता शामिल होंगे।
ऐसे आया व्हाट्स एप ग्रुप बनाने का विचार
आमतौर पर जब किसी बच्चे की लापता होने की शिकायत पुलिस थाने में दर्ज होती है तो पुलिस अपने स्तर पर बच्चे को ढूंढने की कोशिश तो करती है लेकिन अधिकांश मामलों में तस्कर मामले के पुलिस के पास पहुंचने से पहले ही बच्चे को अन्य राज्य या जिलों में ले जा चुके होते हैं। इन मामलो में विभिन्न जिलों की पुलिस और रेलवे पुलिस में रियल टाइम कॉर्डिनेशन न होने की वजह से बच्चे के मिलने की संभावना बेहद कम हो जाती है। ऐसे में यदि बच्चे के लापता होते ही प्रदेशभर में रियल टाइम में बच्चे की फूल डिटेल रेलवे पुलिस और विभिन्न जिलों के चाइल्ड लाइन कॉर्डिनेटर तक पहुंच जाए तो बच्चे के अन्य प्रदेश में जाने से पहले ही उसे ढूंढा जा सकता है। इसे देखते हुए आरंभ संस्था के सदस्य और RPF और GRP के अधिकारियों ने रियल टाइम इन्फार्मेशन और कॉर्डिनेशन के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर लापता बच्चों को ढूंढने के लिए यह प्लेटफॉर्म तैयार किया।
ऐसे काम करेगा व्हाट्स एप ग्रुप
ग्रुप में लापता बच्चे की डिटेल डालते ही यह सभी ग्रुप मेम्बर तक पहुंच जाएगी। सम्बंधित अधिकारी इस सूचना पर एक्शन लेते हुए मामले को आगे बढ़ाएंगे। उदाहरण के तौर पर भोपाल GRP थाने में अगर कोई बच्चे के गुमशुदा होने की शिकायत आती है तो यह सूचना फूल डिटेल के साथ ग्रुप में डाली जाएगी। ग्रुप में मौजूद RPF और GRP के अधिकारी और चाइल्ड लाइन कॉर्डिनेटर इसके बाद अपने स्तर पर बच्चे को ट्रेस करने में लग जाएंगे।
Created On :   15 Feb 2018 12:24 AM IST