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लकवाग्रस्त हुई मां तो बेटों ने पिता को भी रखने से किया इनकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बच्चों को माता-पिता के बुढ़ापे की लाठी बनना चाहिए, मगर लाठी ‘बेगानी" होती जा रही है। जिस उम्र में आराम, सेवा, प्यार मिलना चाहिए, उस उम्र के पड़ाव पर बुजुर्ग माता-पिता को सिर्फ दुत्कार मिल रही है। और तो और, मार-पीट और घर से निकालने जैसी घटनाएं होने लगी हैं। ऐसा ही एक मामला नागपुर महानगरपालिका, समाज कल्याण विभाग तथा कल्पना बहुउद्देशीय महिला मंडल संस्था द्वारा संचालित सतरंजीपुरा क्रमांक-7 स्व. अनुसयाबाई काले स्मृति महिला समुपदेशन केन्द्र में आया। आरोप है कि बेटे बूढ़े माता-पिता को मारते-पीटते थे।
माता-पिता के लिए दवा नहीं खरीदते थे
वैशाली नगर निवासी दंपति प्राइवेट नौकरी करते थे। तबीयत खराब होने पर पुरुष को नौकरी छोड़नी पड़ी। महिला भी काम करती थी, लेकिन लकवा के कारण लाचार हो गई। दंपति पूरी तरह बेटों पर आश्रित हो गए। उन्हें दो बेटे हैं और दोनों ही प्राइवेट नौकरी करते हैं। घर में बैठते ही बेटे और बहुओं का रवैया बदल गया। बेटे-बहू माता-पिता की दवाई लाकर भी नहीं देते हैं। और तो और माता-पिता को घर में ही नहीं रखना चाहते, जबकि घर पिता के नाम पर है। हद तो तब हो गई, जब एक बेटे ने उन दोनों पर हाथ उठाया। इसके बाद मां ने बेटों की शिकायत समुपदेशन केन्द्र में की।
बेटों को समझाया
समुपदेशन केन्द्र की संचालिका कल्पना फुलबांधे ने बताया कि इस मामले में हमने दोनो बेटों को समझाइश दी। बेटों को समझाया गया कि माता-पिता को महीने का खर्च दें, ताकि वे दवा आदि खरीद सकें। दोनों बहुओं को भी सास-ससुर की सेवा करने के लिए कहा गया। बुढ़ापे में माता-पिता का सहारा बच्चे ही होते हैं, इसलिए उनके साथ दुर्व्यहार न करें।
Created On :   11 Aug 2021 10:01 AM IST