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जहां बांध वहां जलसमृद्धि, जहां नहीं वहां पानी के लिए तरस रहे लोग

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। भविष्य में गोंदिया के जलसंकट पर नियंत्रण पाने के लिए गोंदियावासियों की जीवनदायिनी पांगोली नदी को बचाना आवश्यक है। पांगोली नदी पर हर दो किलोमीटर पर बांधों का निर्माण किए जाने की जरूरत है। तभी नदी के अस्तित्व को बचाया जा सकता है, क्योंकि जहां-जहां पर पांगोली नदी पर बांध का निर्माण किया गया है। वहां दूर-दूर तक पानी नजर आता है और जहां बांध नहीं है वहां पूरी तरह से पांगोली सूखी हुई नजर आ रही है।
बता दें कि गोंदिया जिले के गोरेगांव तहसील अंतर्गत तेढ़ा-हलबीटोला के तालाब से पांगोली नदी का उगम हुआ है। जिसकी लंबाई लगभग 70 किलोमीटर है। सैकड़ों ग्रामों से गुजरते हुए बाघ नदी में इस नदी का संगम होता है। इस नदी से लाखों लोगों की प्यास बुझाई जाती है। वहीं हजारों हेक्टर को सिंचाई भी उपलब्ध होती है। लेकिन बढ़ते अतिक्रमण व नदी का संवर्धन न होने के कारण नदी का अस्तित्व खतरे में आ गया है। नदी का रूपांतरण नाले में होने से ग्रीष्मकाल के पूर्व ही नदी सूखने लग जाती है। वर्तमान में नदी पूरी तरह से सूख चुकी है। जल संधारण विभाग द्वारा नदी के पुराने पुलों को बांध का स्वरूप दिया है। जिस कारण नदी का पानी बांध बनने से रूक गया है। दूर-दूर तक पानी नजर आ रहा है। वहीं जहां पर बांध नहीं वहां से दूर-दूर तक पानी नजर नहीं आ रहा है। उदाहरण के तौर पर गोरेगांव के श्मशान घाट के समीप पांगोली नदी पर बांध तैयार किया गया है। वहां पर 2 मीटर से अधिक पानी संग्रहित है। वहीं छोटा गोंदिया पुराने पुल पर बांध तैयार किया गया है, जहां पर दूर-दूर तक पानी नजर आ रहा है। इसी तरह इस नदी का अस्तित्व टिकाए रखना है तो नदी के प्रत्येक 2 किलोमीटर दूरी पर बांध का निर्माण करना जरूरी हो गया है। इस ओर जिला प्रशासन ने ध्यान देकर नदी का संवर्धन करना चाहिए।
जनप्रतिनिधियों की अनदेखी
गोंदिया की जीवनदायिनी पांगोली नदी के संवर्धन के प्रति क्षेत्र के जनप्रतिनिधि गंभीर दिखाई नहीं देते। जबकि नागपुर की पीली नदी, चंद्रपुर की इरई नदी का संवर्धन किया जा रहा है, फिर गोंदिया की पांगोली नदी का क्यों नहीं? इस तरह का सवाल भी अब निर्माण होने लगा है। पांगोली नदी को बचाने की जिम्मेदारी अकेले प्रशासन की ही नहीं बल्कि जनप्रतिनिधि व नागरिकों की भी है।
नदी के संवर्धन के लिए लिखा पत्र
नदी का अस्तित्व बचाने के लिए नदी संवर्धन के लिए क्या-क्या करना चाहिए। इस संदर्भ में विस्तृत तौर पर नदी का अध्ययन कर सुझाव पत्र के माध्यम से दिया गया है। जहां पर बांध का निर्माण किया गया है। वहां पर पानी है। इसी प्रकार संपूर्ण नदी के गहराईकरण कर अतिक्रमण हटाकर उसका संवर्धन किया जाए। इस तरह का पत्र जिलाधिकारी राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान निरी नागपुर, जल संधारण विभाग प्रदान सचिव तथा संबंधित विभागों को दिए गए है। - तीर्थराज उके, सेक्रेटरी समाजोन्नति ग्रामीण व शहरी विकास संस्था, गोंदिया
Created On :   14 May 2022 3:16 PM IST