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वॉट्सअप पर महिला की अश्लील तस्वीर व वीडियो वायरल करने वाले को नहीी मिली राहत

डिजिटिल डेस्क, मुंबई। ह्वाट्सएप पर महिला की नग्न तस्वीर व वीडियों वायरल करनेवाले आरोपी के प्रति बांबे हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपना है। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी की इस हरकत के चलते न सिर्फ पीड़ित महिला की छवि खराब हुई है बल्कि उसे समाज का सामना करने में भी मुश्किल हो रही है। हाईकोर्ट ने यह बात कहते हुए महिला की नग्नतस्वीर व वीडियों वायरल करने के आरोपों का सामना कर रहे आरोपी सौरभ सुखीजा के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है।
आरोपी को पुणे पुलिस ने इस मामले में 19 सितंबर 2021 को गिरफ्तार किया था। तब से वह जेल में है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 354डी, 380, 385, 500, 504, 506 व सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 67ए व 66 (सी)के तहत मामला दर्ज किया है। न्यायमूर्ति नीतिन सांब्रे के सामने आरोपी के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि पीड़ित महिला का वैवाहिक जीवन सही नहीं चल रहा था। उसके पति विदेश में थे। इस बीच आरोपी ने फेसबुक के जरिए पीड़ित महिला से दोस्ती बढाई और उसके अकेलेपन का अनुचित फायदा उठाकर उससे मुलाकात की। फिर उसकी नग्न तस्वीरे खीची व वीडियों बनाए। यहीं नहीं आरोपी ने विवाहित होते हुए भी पीड़िता को शादी का वादा करके उसके साथ संबंध भी बनाए। फिर कुछ समय बाद पीड़ित महिला से नग्न तस्वीरों व वीडियो के आधार पर उससे पैसे व उसके गहने भी लिए। इसके बावजूद महिला की नग्न तस्वीरों व वीडियों को ह्वाट्सएप पर वायरल भी कर दिया। जिससे न सिर्फ पीड़ित महिला की छवि खराब हुई बल्कि उसे समाज का सामना करने में भी दिक्कत महसूस हो रही है। इससे पहले आरोपी के वकील ने कहा कि इस मामले में मेरे मुवक्किल के खिलाफ दुष्कर्म( 376)का मामला बनता ही नहीं है। क्योंकि मेरे मुवक्किल ने शिकायतकर्ता (पीड़ित महिला) की सहमति से संबंध बनाए थे।
शिकायतकर्ता के कहने पर मेरे मुवक्किल पंजाब से पुणे आए थे। आरोपी व शिकायतकर्ता दो साल तक साथ में थे। इसके अलावा इस मामले की जांच पुरी हो गई है। आरोपी के खिलाफ पुलिस ने आरोपपत्र भी दायर कर दिया है। आरोपी के पास से सारी समाग्री(फोटो व वीडियो) बरामद कर ली गई है। इसलिए अब आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। वहीं सरकारी वकील ने आरोपी की जमानत का विरोध किया। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि आरोपी विवाहित था फिर भी उसने पीड़ित महिला के साथ शादी का वादा किया। जिसके बाद पीड़ित महिला संबंध बनाने को राजी हुई। इस लिहाजा से आरोपी के खिलाफ धारा 376 के तहत मामला दर्ज करना सही है। न्यायमूर्ति ने इस दौरान पाया कि आरोपी ने पीड़ित महिला की तरह एक अन्य महिला के साथ भी ऐसी ही अपराध को अंजाम दिया है। जो की आरोपी कि आपराधिक मानसिकता को दर्शाता है। इसके मद्देनजर आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती है। इस तरह न्यायमूर्ति ने आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया।
Created On :   24 Sept 2022 7:20 PM IST