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हम क्यों नहीं साबित कर सकते धार्मिक सद्भावना की मिसाल?

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गोधनी के सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित भूखंड पर मस्जिद और मदरसा बनाने का विरोध करती एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि हम ऐसे प्रकरणों में सकारात्मक रुख अपनाकर धार्मिक सद्भावना की मिसाल क्यों नहीं कायम कर सकते? क्यों नहीं मदरसे को सार्वजनिक उपयोग की ही एक इकाई के रूप में देखा जा सकता? यदि किसी क्षेत्र में एक धर्म के लोग अधिक हों, तो वहां दूसरे धर्म के पवित्र स्थल निर्माण को अनेकता में एकता के संदेश के रूप में भी तो देखा जा सकता है। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपनी याचिका में संशोधन के आदेश जारी करके सुनवाई दो सप्ताह स्थगित कर दी।
यह है प्रकरण
गोधनी के राजलक्ष्मी सोसायटी निवासी मनोज तिवारी ने हाईकोर्ट में यह याचिका दायर कर सोसायटी के सार्वजनिक भूखंड पर प्रस्तावित मस्जिद और मदरसा निर्माण का विरोध किया है। याचिकाकर्ता के अनुसार, राजलक्ष्मी हाउसिंग डेवलपमेंट को-ऑपरेटिव सोसायटी ने अपने ले-आउट में प्रस्तावित सार्वजनिक भूखंड को कुछ वर्षों पूर्व दारुल उलुम सल्फिया नामक संस्था को बेच दिया था। संस्था अब यहां मस्जिद और मदरसा बनाने जा रही है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि कानूनी रूप से सार्वजनिक उपयोग की जमीन पर इस प्रकार धार्मिक स्थल बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह भी मुद्दा उठाया गया है कि क्षेत्र की शत-प्रतिशत आबादी हिंदू है, ऐसे में मस्जिद और मदरसा बनाने से क्षेत्र की शांति व्यवस्था और धार्मिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.संजय करमाकर ने पक्ष रखा।
Created On :   1 July 2021 10:53 AM IST