दुष्कर्म के 14 साल बाद क्यों दर्ज हुई एफआईआर 

Why FIR was registered after 14 years of rape
दुष्कर्म के 14 साल बाद क्यों दर्ज हुई एफआईआर 
कोर्ट ने उठाए सवाल दुष्कर्म के 14 साल बाद क्यों दर्ज हुई एफआईआर 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। दुष्कर्म के मामले को लेकर पीड़िता ने 14 साल बाद क्यों एफआईआर दर्ज कराई है? इसका ठोस जवाब न मिलने के चलते बांबे हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता(पीड़िता) के साथ लंबे समय तक लिव इन रिलेशन में रहने का दावा करनेवाले 65 वर्षीय आरोपी को जमानत प्रदान की है। हाईकोर्ट ने कहा कि मामले से जुड़ी पीड़िता वयस्क हैं। ऐसे में वह अपने कृत्य के परिणाम को समझने में समर्थ थी फिर भी वह आरोपी के साथ साल 2008 से 2022 के दौरान रही। यह एक लंबा अंतराल है और आरोपी ने इस दौरान पीड़िता की सभी जरुरतों का ख्याल रखा। यहीं वजह है कि आरोपी ने पीड़िता के साथ लिव इन रिलेशन में रहने का दावा किया है।  हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी ने 36 वर्षीय पीड़िता के साथ उसकी सहमति व इच्छा के साथ संबंध बनाए थे कि नहीं।यह मुकदमे की सुनवाई के दौरान देखा जाए लेकिन फिलहाल मामले से जुड़े तथ्यों व परिस्थितियों के मद्देनजर मई 2022 से जेल में बंद आरोपी को 50 हजार रुपए के मुचलके परसशर्त जमानत प्रदान की जाती है। 

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति भारती डागरे ने पाया कि आरोपी व पीड़िता एक दूसरे के रिश्तेदार हैं। पीड़िता ने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। पीड़िता साल 2008 में सोलापुर से आरोपी के साथ मुंबई आयी थी। इस दौरान वह आरोपी के गोरेगांव स्थित उसके फ्लैट में रहती थी। साल 2009 में आरोपी लंदन चला गया लेकिन वह साल में एक बार भारत आता था। पीड़िता के मुताबिक आरोपी उसे विटामिन के इंजेक्शनदेकर उसके साथ जबरन संबंध बनाता था। यह सिलसिला पीड़िता के विवाह होने तक चला। इस दौरान पीड़िता 14 सालों तक आरोपी के फ्लैट में ही रही। 26 जनवरी 2022 को पीड़िता ने विवाह कर लिया। इसके बावजूद आरोपी ने पीड़िता को अपने पास बुला कर संबंध जारी रखने को कहा। इस दौरान आरोपी ने पीड़िता को एक वीडियो भी भेजा। इसके बाद पीड़िता ने आरे पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)एफ,एन,323,324, व 506 के तहत मामला दर्ज किया। जिसके बाद उसे 11 मई 2022 को गिरफ्तार कर लिया। तब से वह जेल में बंद था।
न्यायमूर्ति डागरे के सामने आरोपी के वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल व शिकायतकर्ता के बीच आपसी सहमति से संबंध बने थे। पीड़िता के पति को उसके संबंधों की जानकारी हो गई थी। इसलिए उसने पुलिस में मामला दर्ज कराया है। मेरे मुवक्किल पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। इस मामले को लेकर 14 साल बाद एफआईआर दर्ज कराई गई है।

इस तरह मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि मामले की जांच पूरी हो गई है। पुलिस ने आरोपपत्र दायर कर दिया है। शिकायतकर्ता ने मामला दर्ज कराने में 14 साल की देरी क्यों कि इसको लेकर कोई ठोस कारण नहीं बताया है। पीड़िता के संबंध उसकी सहमति व इच्छा से बने थे कि नहीं यह मुकदमे की सुनवाई के दौरान देखा जाएगा। यह बात कहते हुए न्यायमूर्ति ने आरोपी को सशर्त जमानत प्रदान कर दी। जिसके तहत आरोपी को न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड न करने व कोर्ट की अनुमति के बिना देश छोड़ कर न जाने सहित अन्य निर्देश दिए हैं।

Created On :   12 Nov 2022 7:22 PM IST

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