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शिक्षा अधिकारियों की गलती की वजह से छात्र क्यों हों परेशान: हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिक्षा अधिकारियों की ओर से किए गए विलंब के लिए विद्यार्थियों को परेशान होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है। यह बात कहते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कक्षा दसवीं के उन 12 बच्चों का रिजल्ट भी घोषित करने का निर्देश दिया है जिनके फार्म विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से जमा नहीं हो सके थे। अदालत ने महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षा मंडल को 12 विद्यार्थियों के परीक्षा से जुड़े आवेदन को स्वीकार कर एक सप्ताह में परीक्षा परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने नाशिक स्थित विनायक शिक्षण प्रसारक मंडल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया हैं। मामले से जुड़े तथ्यों व याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता की ओर से नाशिक के उप शिक्षा अधिकारी के पास राज्य शिक्षा बोर्ड की मान्यता व इंडेक्स नम्बर के लिए नवंबर 2020 में आवेदन किया गया था। लेकिन इस आवेदन के आधार पर शिक्षा अधिकारियों को राज्य शिक्षा बोर्ड के पास अपनी सिफारिश भेजने में विलंब हुआ। इस बारे में स्कूली शिक्षा मंत्री को निवेदन दिया गया था। शिक्षा मंत्री ने कार्रवाई के आदेश भी दिए। किन्तु परीक्षा से जुड़े आवेदन समय पर राज्य शिक्षा बोर्ड तक नहीं पहुंच सके। इसलिए बोर्ड ने 12 विद्यार्थियों के परीक्षा से जुड़े आवेदन अस्वीकार कर दिए।
सुनवाई के दौरान राज्य शिक्षा बोर्ड की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता किरण गांधी ने कहा कि 16 जुलाई 2021 को कक्षा दसवीं का परीक्षा परिणाम घोषित हो चुका है। इसके अलावा परीक्षा के लिए आवेदन स्वीकार करने की अंतिम तारीख 22 अप्रैल 2021 थी। याचिकाकर्ता की ओर से विद्यार्थियों के आवेदन 22 अप्रैल 2021 के बाद भेजे गए हैं। इस लिहाज से आवेदन को अस्वीकार करने के बोर्ड के आदेश को कायम रखा जाए। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि एक बार याचिकाकर्ता के आवेदन में खामी पायी गई थी। जिसे नाशिक में कोविड की परिस्थितियों के चलते दूर करने में देरी हुई है। लेकिन इससे पहले शिक्षा अधिकारियो ने याचिकाकर्ता के संबंध में बोर्ड़ को अपनी सिफारिश भेजने में विलंब किया था।
ऐसे में शिक्षा अधिकारियों की ओर से किए गए विलंब के लिए विद्यार्थियों को कष्ट सहने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है। क्योंकि याचिकाकर्ता ने बोर्ड की मान्यता व इंडेक्स नम्बर के लिए नवंबर 2020 में ही आवेदन किया था। खंडपीठ ने कहा कि इस बार परीक्षा रद्द होने के कारण विद्यर्थियों का मूल्यांकन आंतरिक परीक्षाओं के आधार पर किया गया है। इसलिए राज्य शिक्षा बोर्ड विलंब शुल्क लेकर विद्यार्थियों के परीक्षा से जुड़े आवेदन को तीन दिन में स्वीकार करें और एक सप्ताह के भीतर विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम घोषित करें।
Created On :   7 Aug 2021 5:35 PM IST