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पत्नी चाल में रहती है, इसलिए लॉकडाउन तक पति को बेटे की कस्टडी मिलने की याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क , मुंबई। पत्नी चॉल में रहती है इसलिए वह बेटे की कोरोना से प्रभावी तरीके से सुरक्षा नहीं कर सकती। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस आधार पर सात साल के बच्चे की कस्टडी पति को सौंपने से फिलहाल इंकार कर दिया है। पति ने दावा किया था कि दक्षिण मुंबई के गिरगांव इलाके की जिस चॉल में उसकी पत्नी रहती है वहां पर सार्वजनिक शौचालय है और कई लोग एक ही शौचालय का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में उसके बेटे को कोरोना का संक्रमण हो सकता है।इसके अलावा चाल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ठीक से नहीं किया जाता। वहां पड़ोस में रहने वाले लोग अक्सर एक दूसरे के घर आते -जाते रहते हैं। इससे भी कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।
पति के मुताबिक उसके पास 1500 वर्गफुट का फ्लैट है। जहां उसका निजी शौचालय है। इस लिहाज से वह अपने बेटे का कोरोना से ठीक तरह से बचाव कर सकता है। इसलिए कम से कम लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने तक बच्चे की कस्टडी उसे सौंप दी जाए। गौरतलब है कि पारिवारिक अदालत ने पति को बच्चे से हर सप्ताह मिलने की इजाजत दी है। पारिवारिक अदालत के इस निर्णय के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
न्यायमूर्ति आर के देशपांडे के सामने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि हमारे सामने ऐसा कोई भी ठोस कारण नहीं पेश किया गया है जिसके आधार पर कोरोना से बच्चे की देखरेख को लेकर अविश्वास प्रकट किया जा सके। न्यायमूर्ति ने कहा कि हम यह क्यों माने की माँ अपने बेटे का कोरोना से बचाव सावधानी से नहीं करेगी। न्यायमूर्ति ने कहा कि हमें इस याचिका में तत्काल सुनवाई करने की जरुरत महसूस नहीं होती है। यह कहते हुए न्यायमूर्ति ने नियमित कोर्ट में याचिका पर सुनवाई करने की बात कही।
Created On :   16 April 2020 5:59 PM IST