एकमुश्त मुआवजे के लिए पत्नी की मौखिक अर्जी भी मान्य

Wifes oral application for lump sum compensation also valid
एकमुश्त मुआवजे के लिए पत्नी की मौखिक अर्जी भी मान्य
एकमुश्त मुआवजे के लिए पत्नी की मौखिक अर्जी भी मान्य

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया आदेश में स्पष्ट किया है कि तलाक के मामलों में सुनवाई के दौरान पत्नी की मौखिक अर्जी पर भी कोर्ट उसे मुआवजा देने पर विचार कर सकता है। जरूरी नहीं कि पत्नी ने लिखित में ही आवेदन किया हो। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि हिंदू विवाह अधिनियम धारा-25 के तहत पत्नी तलाक हो जाने के बाद भी मुआवजे के लिए दावा कर सकती है। मुआवजे के लिए उसे पति की आर्थिक स्थिति की पूरी जानकारी कोर्ट को देना जरूरी है। कोर्ट को सभी पक्षों को सुनकर इस पर निर्णय लेना चाहिए था। ऐसे ही एक प्रकरण में हाईकोर्ट ने खामगांव (बुलढाणा) दीवानी न्यायालय को अपने उस आदेश पर पुनर्विचार करने के आदेश दिए, जिसके तहत निचली अदालत ने पत्नी की मुआवजे की विनती ठुकरा दी थी। 

यह है मामला 
यह विवाह मार्च 2016 में हुआ था। पति-पत्नी की आपस में नहीं बनी, जिसके कारण उन्होंने तलाक की संयुक्त अर्जी खामगांव दीवानी न्यायालय में दी। न्यायालय ने तलाक तो मंजूर किया, लेकिन पत्नी द्वारा लिखित आवेदन नहीं करने के कारण उसे एकमुश्त मुआवजा प्रदान नहीं किया। पत्नी की ओर से बुलढाणा जिला न्यायालय की शरण लेने पर जिला न्यायालय ने भी निचली अदालत का फैसला कायम रखा। इसके कारण पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 

दो अहम विषय 
हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के दौरान दो अहम विषयों पर मंथन किया। पहला यह कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत क्या तलाक हो जाने के बाद पत्नी मुआवजे के लिए दावा कर सकती है? हाईकोर्ट का निष्कर्ष रहा कि पत्नी हिंदू विवाह अधिनियम धारा-25 के तहत इस प्रकार का दावा कर सकती है। दूसरा प्रश्न यह था कि क्या तलाक के मामलों में पत्नी को तलाक की लिखित अर्जी दायर करना जरूरी है? लेकिन हाईकोर्ट ने माना कि पत्नी के मौखिक आवेदन पर भी कोर्ट को सुनवाई करके मुआवजे पर फैसला लेना होगा। 
 

Created On :   13 Jan 2021 9:38 AM GMT

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