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वन्य प्राणी संरक्षण कानून ही ठीक नहीं, बदल डालिए : पाटील

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसान अधिकार के लिए काम कर रही राज्य सुकाणु समिति के आयोजक व शेतकरी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रघुनाथ पाटील ने कहा है कि वन्य प्राणी संरक्षण कानून किसान विरोधी साबित होने लगा है। वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ गई है। वन क्षेत्र में उनका भय है। किसानों की जान ली जा रही है। खेती की फसलें बर्बाद की जा रही हैं। किसानों को नाममात्र मुआवजा मिलता है। इधर कानून कुछ ऐसा है कि बैलों को भी नहीं दौड़ा सकते हैं। प्राणी संरक्षण के नाम पर किसानों को वनक्षेत्र से बाहर करने का प्रयास चल रहा है। चीन जैसे देशों में वन्य प्राणियों की संख्या को देखते हुए उनके नियंत्रण की उपाययोजना की गई है। वहां पशुप्रेमी सड़क पर नहीं आते हैं। श्री पाटील ने यह भी कहा कि वनक्षेत्र में किसानों व नागरिकों के संरक्षण के अलावा अन्य मुद्दों को लेकर विधानमंडल के शीतसत्र के समय मोर्चा निकाला जाएगा। 24 नवंबर से 3 दिन तक मुंबई में मोर्चा होगा। उसमें विदर्भ से अधिक से अधिक लोग शामिल होंगे।
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू करें
जय जवान जय किसान संगठन के बजाजनगर स्थित कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस में श्री पाटील बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वन्य प्राणियों के भय से बचाने की परंपरा पहले से चली आ रही है। राजर्षि शाहू महाराज भी लोगों को बचाने के लिए श्वानों को लेकर जंगल में गए थे। बाघ को मारा गया था। भटके हुए पशुओं को नियंत्रित करना आवश्यक है। यह कहां तक उचित है कि लावारिस श्वानों काे भी न मारा जाए। राज्य में किसान आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करना होगा। उत्पादन खर्च की तुलना में कृषि उपज को 50 प्रतिशत अधिक भाव देने की आवश्यकता है।
राज्य के किसानों को लंबित बिजली बिल भरने की आवश्यकता नहीं है। सरकार ने 1 अक्टूबर 2018 को इस संबंध में पत्र जारी किया है। किसान नेता रुद्रा कुचनकर ने कहा कि 7 नवंबर को वणी में प्राणी परिषद ली गई। उसका प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। विदर्भ में वनक्षेत्र ही नहीं ऐसे भी कई क्षेत्र हैं जहां वन्य प्राणियों के भय के कारण किसान खेतों से फसल नहीं ला पाते हैं। कृषि उपज को अधिक भाव दिलाने का कोई मतलब ही नहीं रह जाता है। 80 प्रतिशत वन्य प्राणी खेत सीमा में रहने लगे हैं। पत्रकार वार्ता में जय जवान जय किसान संगठन के संयोजक प्रशांत पवार, अरुण वनकर, विजय शिंदे, दिनकर दाभाडे, कालिदास आपटे उपस्थित थे।
Created On :   13 Nov 2018 3:51 PM IST