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गलत मंशा साबित होने पर ही माना जाएगा धार्मिक भावना आहत करने का दोषी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विविधता में एकता का संदेश देने वाले भारत में आए दिन हम ऐसे कई मामले देखते हैं, जिसमें किसी व्यक्ति पर किसी वर्ग की धार्मिक भावनाएं आहत होने के आरोप लगते हैं। ऐसी बढ़ती शिकायतों के बीच बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक अहम फैसला दिया है। न्या. वी.एम. देशपांडे और न्या. अमित बोरकर की खंडपीठ ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति धार्मिक भावनाएं आहत करने का दोषी तभी करार दिया जा सकता है, जब कोर्ट में यह सिद्ध हो कि उसने जानबूझ कर गलत मंशा से वह कृत्य किया हो। यदि कोर्ट में यह साबित हो कि आरोपी ने गलत मंशा से वह कार्य नहीं किया था, तो उसे सजा नहीं दी जा सकती। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने मुंबई स्थित फ्यूचर रिटेल लिमिटेड कंपनी के पदाधिकारी और शहर के मेसर्स कूलवाल हैंडीक्रॉफ्ट्स को बड़ी राहत दी है।
यह था मामला : मुंबई निवासी मानवेंद्र शर्मा (39) फ्यूचर लि.कंपनी के वुमन डिवीजन के प्रमुख हैं। यह डिवीजन महिलाओं के वस्त्रों का उत्पादन करता है। इसी के चलते मेसर्स कूलवाल हैंडीक्रॉफ्ट्स ने कुछ वस्त्रों का ऑर्डर दिया था। शहर के हुड़केश्वर निवासी अजय बोढ़ारे ने कंपनी द्वारा वर्ष 2016 में तैयार किए गए वस्त्रों की डिजाइन पर आपत्ति लेते हुए सीताबर्डी पुलिस थाने में शिकायत की थी। आरोप था कि कंपनी ने एक धर्म विशेष के ग्रंथ का डिजाइन वस्त्र के उस हिस्से पर छापा है, जिसे पांव के पास पहना जाता है। कंपनी के इस कृत्य से वर्ग विशेष की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। बोढ़ारे की शिकायत पर पुलिस ने शर्मा और मेसर्स कूलवाल हैंडीक्रॉफ्ट्स के खिलाफ भादवि 295-ए (धार्मिक भावनएं भड़काने) और 502 (आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित करनेे) के तहत मामला दर्ज किया था, हालांकि वर्ष 2018 में ही कोर्ट ने निचली अदालत में जारी इस मुकदमे पर स्थगन लगा दिया था। अब जाकर हाईकोर्ट ने इस प्रकारण का निपटारा किया है। हाईकोर्ट ने उक्त निरीक्षण के साथ आरोपियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर और चार्जशीट खारिज कर दी है।
Created On :   19 Jun 2021 2:47 PM IST