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पति का घर छोड़ने के बाद भी महिला कर सकती है घरेलू हिंसा की शिकायत

डिजिटल डेस्क, नागपुर । घरेलू हिंसा के मामलों में कई बार पीड़ित महिला तुरंत पुलिस में शिकायत नहीं कर पाती। उसके साथ हुई शारीरिक और मानसिक हिंसा के मेडिकल रिकॉर्ड भी उसके पास नहीं होते। केवल इन कारणों से महिला शिकायत नहीं कर सकती या मुआवजे के लिए पात्र नहीं है, यह धारणा पूरी तरह गलत है। हमारे देश में घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 को लागू ही इस उद्देश्य से किया गया है, कि आम तौर पर अन्य दीवानी या फौजदारी अधिनियम में जिस महिला को न्याय नहीं मिल सकता, उसे इस अधिनियम की मदद से न्याय मिल सके। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने इस निरीक्षण के साथ पति का घर छोड़ने के एक वर्ष बाद घरेलू हिंसा की शिकायत करने वाली महिला को मुआवजे की हकदार माना है। निचली अदालत द्वारा पति को आदेश दिए गए थे कि वह पत्नी को 50 हजार रुपए एकमुश्त मुआवजा अदा करे। हाईकोर्ट ने इस आदेश को कायम रखा है।
यह है मामला
उक्त मामले में महिला ने घरेलू हिंसा से तंग आकर 3 फरवरी 2011 को पति का घर छोड़ दिया था। इसके एक वर्ष के बाद 17 अक्टूबर 2012 को उसने पति और ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत की। आरोपियों के वकील की कोर्ट में दलील थी कि "लिमिटेशन" नियम के अनुसार इतनी देर से शिकायत करने के कारण महिला की शिकायत को महत्व नहीं दिया जाना चाहिए, लेकिन इससे उलट मत रखते हुए अकोला जेएमएफसी कोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला दिया। पति को आदेश दिया कि वह महिला को प्रति माह मेंटेनेंस अदा करे। पति ने इस फैसले को सत्र न्यायालय में चुनौती दी तो सत्र न्यायालय ने मेंटेनेंस तो कायम रखा ही, पत्नी को 50 हजार रुपए एकमुश्त मुआवजा देने के भी आदेश दिए। पति ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी, तो हाईकोर्ट ने उक्त निरीक्षण के साथ महिला के पक्ष में ही फैसला दिया। ।
Created On :   9 Aug 2021 9:46 AM IST