‘सम्मान की खातिर शिकायत करने से डरती हैं महिलाएं’

Women are afraid to complain for the sake of respect
‘सम्मान की खातिर शिकायत करने से डरती हैं महिलाएं’
प्राचार्य को बरी करने से हाई कोर्ट का इनकार ‘सम्मान की खातिर शिकायत करने से डरती हैं महिलाएं’

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया फैसले में कहा कि महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के मामले में पीड़िता और उसके परिवार की इज्जत दांव पर होती है। हमारे समाज में महिलाओं के सम्मान की एक कीमती गहने की तरह रक्षा की जाती है। लेकिन ऐसे अपराध में कई बार पीड़िताएं अपने और परिवार के सम्मान के खातिर आगे आकर आवाज उठाने से डरती हैं। इस निरीक्षण के साथ हाई कोर्ट ने शिक्षिका के विनयभंग के आरोपी प्रभारी प्राचार्य को मामले में बरी करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने जेएमएफसी न्यायालय द्वारा आरोपी को बरी करने के फैसले को खारिज किया। साथ ही निचली अदालत को 4 माह के भीतर मामले का ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया गया है। आरोपी का नाम जयदास दुधराम सांगोडे है। वह चंद्रपुर के ब्रह्मपुरी स्थित देलनवाड़ी जिला परिषद स्कूल का प्राचार्य है। इस मामले में हाई कोर्ट ने माना कि पीड़िता द्वारा एफआईआर दर्ज कराने में देर हुई, इस आधार पर प्राचार्य को निर्दोष नहीं माना जा सकता। मामले में सच का पता लगाने के लिए निचली अदालत में ट्रायल चलाना जरूरी है।

तंग आकर पीड़िता ने अंत में पति को बताई सारी बात
दरअसल, पीड़िता और आरोपी दोनों ब्रह्मपुरी की जिला परिषद की स्कूल में शिक्षक हैं। घटना के वक्त आरोपी स्कूल के प्रभारी मुख्याध्यापक की भूमिका में था। आरोप है कि 16 अगस्त 2011 को उसने शिक्षिका को अपने केबिन में बुला कर गलत तरीके से छुआ और शारीरिक संबंध बनाने की मांग की। इसके बाद भी कई बार उसने इसी प्रकार की हरकतें दोहराईं। इसके करीब 4 वर्ष बाद 6 अगस्त 2015 को दोबारा उसने ऐसी ही हरकत की। पीड़िता ने घर लौट कर पति को सारी बातें बताईं, लेकिन सामाजिक बदनामी के डर से उन्होंने शिकायत नहीं की। इसके बाद आरोपी की हिम्मत बढ़ती गई, तो तंग आ कर पीड़िता ने 29 मार्च 2016 को आरोपी के खिलाफ चंद्रपुर जिला परिषद मुख्याधिकारी के पास शिकायत कर दी। मुख्याधिकारी ने मामले में जांच बैठाई और इसके बाद ब्रह्मपुरी पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया। आरोपी ने इस मामले में खुद को बरी करने के लिए जेएमएफसी न्यायालय में अर्जी दायर की। उसके वकील ने दलील दी कि मामले में एफआईआर देरी से दायर की गई है और आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत भी पेश नहीं किया गया है। मामले में सभी पक्षों को सुनकर जेएमएफसी न्यायालय ने आरोपी को मामले से बरी कर दिया। इस फैसले के खिलाफ पीड़िता ने हाई कोर्ट की शरण ली। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने यह फैसला दिया है।


 

Created On :   24 March 2023 3:03 PM IST

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