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विदेशों की तर्ज पर अब महिलाएं भी खदान के अंदर करेंगी काम - बनी कमेटी

डिजिटल डेस्क, छिन्दवाड़ा/परासिया। महिलाओं को हर जगह हर परिस्थिति में पुरूषों के समान्तर कार्य करने का अवसर मिला है। साइकल से लेकर जेट विमान तक, सुरक्षा कर्मी से लेेकर तीनों सेना तक, पंचायत से लेकर लोक सभा- राज्य सभा तक, हर जगह महिलाओं ने अपनी उपस्थिति ही दर्ज नहीं की, बल्कि स्वयं को साबित भी किया है। अब जल्द ही देश की भूमिगत खदानों के अंदर भी महिलाएं अपने दमखम, कुशलता और कर्मठता का परचम फहराएगी। केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने खान सुरक्षा महानिदेशालय को इस दिशा में कारगर कदम उठाने निर्देशित किया है। केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने माइंस एक्ट के सेक्शन 83 और 57 के महत कानून बनाने, फैक्ट्री एक्ट 1948 के तहत एडवाइजरी जारी करने और माइंस एक्ट 1952 मेंं सूटेबल संशोधन करने इत्यादि बिंदुओं पर विचार करने खान सुरक्षा महानिदेशालय को कहा है। जिसे लागू करने पर विदेशों की तर्ज पर अब देश में भी महिलाओं को खदान के अंदर जाकर काम करने का मौका मिलेगा। केन्द्र सरकार आगामी समय में विदेशी सरकार और विदेशी कम्पनियों के साथ तालमेल बनाकर खनन क्षेत्र को चलाना चाहती है। इसके लिए सरकार माइंस एक्ट में बदलाव लाते हुए महिलाओं को समान अवसर देना चाहती है।
मंत्रालय की एडिशनल सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनी कमेटी
श्रम एवं नियोजन मंत्रालय की एडिशनल सेक्रेटरी की अनुराधा प्रसाद की अध्यक्षता में गठित कमेटी की बैठक में लिया गया है। जिसमें डीजीएमएस के डीजी पीके सरकार, डायरेक्टर नीरज कुमार, आईएसएम के प्रोफेसर एमएसआर राव के अलावा कोयला मंत्रालय और खान मंत्रालय तथा बीएमएस के राजेन्द्र मिश्रा, एचएमएस के जावेद अख्तर शामिल रहे। खदानों में महिलाओं को काम करने का मौका देने को लेकर मंत्रालय ने डीजीएमएस के डीजी के नेतृत्व में एक सब कमेटी बनाई है। जिसके बाद कानून में संशोधन कर सरकार जल्द ही नोटिफिकेशन जारी करेगी।
इन क्षेत्रों में काम कर रही महिलाएं
सरकार का यह कदम महिला सशक्तिकरण की दिशा में क्रांतिकारी साबित हो सकता है। अभी महिलाओं को खदान के अंदर जाना भी प्रतिबंधित है। हालांकि खदानों से जुड़े बाहरी और कार्यालयीन कार्य में महिलाएं कंधा से कंधा मिलाकर अपने सहकर्मी पुरूषों के साथ काम कर रही हैं। अभी कोल इंडिया और वेकोलि द्वारा महिला कामगारों का उपयोग कार्यालयीन वर्क, अस्पताल, वर्कशॉप, स्टोर और बाहरी कार्य के लिए हो रहा है।
इनका कहना है
सरकार के इस प्रयास से रोजगार के नए अवसर खुलना चाहिए। मौजूदा महिला कामगारों को ही खदान के अंदर भेजकर काम करने बाध्य न किया जाए, बल्कि जमीन के बदले अथवा आश्रित के रूप में नौकरी पाने वाली महिलाओं और खुली भर्ती प्रक्रिया में चयनित महिलाओं को इसके माध्यम से रोजगार से दिया जाए।
सोहन वाल्मिक, विधायक और अध्यक्ष, श्रम संगठन इंटक
Created On :   26 Sept 2018 1:32 PM IST