नागपुर मेडिकल में आईवीएफ केंद्र का कार्य अधर में

Work of IVF center in Nagpur Medical in limbo
नागपुर मेडिकल में आईवीएफ केंद्र का कार्य अधर में
नागपुर मेडिकल में आईवीएफ केंद्र का कार्य अधर में

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिन माताओं को प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में समस्याएं आती हैं। उनके लिए आईवीएफ उपचार पद्धति एक वरदान की तरह है। जिले में हर साल साढ़े तीन हजार नि:संतान दंपति इस प्रक्रिया का लाभ लेते हैं। जिले में यह उपचार सिर्फ निजी अस्पतालों में ही होने से गरीबों के लिए यह उपचार बहुत महंगा है। यह देखते हुए मेडिकल में आईवीएफ केंद्र स्थापित होने वाला था। इसके लिए जिला नियोजन समिति से 95 लाख रुपए की निधि भी प्राप्त हुई थी, लेकिन अब तक यह केंद्र नहीं बन पाया है। 

तत्कालीन डीन ने भेजे थे प्रस्ताव : इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) कृत्रिम गर्भधारण की तकनीक है। मेडिकल में यह सुविधा शुरू होने से गरीब वर्ग के लोग इसका लाभ ले सकते हैं। इस उद्देश्य से मेडिकल के प्रसूति शास्त्र विभाग में आईवीएफ तकनीक से गर्भधारण करने के सिद्धांत पर प्रयोग किया गया, जो सफल रहा। इसमें मेडिकल में आईवीएफ केंद्र बनाने का प्रकल्प तैयार किया गया। इसमें ओपीडी भी तैयार होनी थी, लेकिन अब तक नहीं हो पाई। इस प्रकल्प के लिए जिला नियोजन समिति की ओर से 95 लाख की निधि प्राप्त हुई थी, जिससे केंद्र की स्थापना होनी थी। तत्कालीन अधिष्ठाता डॉ. सजल मित्रा ने इस प्रकल्प के लिए मेडिकल और सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के केंद्र के दो प्रस्ताव चिकित्सा शिक्षण व संशोधन विभाग को भेजे थे, जिसे मंजूरी मिली। निजी अस्पताल में यह प्रक्रिया दो लाख की होती है।

यह है उपचार पद्धति : इस उपचार में टेस्ट ट्यूब में महिला के डिंब और शुक्राणु का संलयन शामिल होता है। इसमें तैयार होने वाले भ्रुण 2 से 5 दिन प्रयोगशाला में रखे जाते हैं। भ्रुणों की कुल संख्या में अच्छी गुणवत्ता के भ्रुण को स्त्री के गर्भाशय में छोड़ा जाता है। इसके बाद प्राकृतिक रूप से मां बच्चे को जन्म देती है। 

सेंटर शुरू करने का कार्य प्रक्रिया में है
मेडिकल में आईवीएफ सेंटर शुरू होना था। इसकी प्रक्रिया शुरू है। इसकी स्थापना से संबंधित जानकारी प्रशासन के पास है। -डॉ. जितेंद्र देशमुख, विभागाध्यक्ष, स्त्री व प्रसूति रोग शास्त्र, मेडिकल
 

Created On :   29 July 2021 9:39 AM GMT

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