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विश्व मौसम विज्ञान दिवस, बताया- मौसम विज्ञान में समाया पूरा भू-विज्ञान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मौसम विज्ञान आज महत्वपूर्ण विषय बन गया है। सुबह की शुुरुआत इसकी जानकारी से शुरु होती है। ठंड, गर्मी व बारिश का पूर्वानुमान इससे मिलता है इसीलिए सामान्य जनता में भी इसे लेकर उत्सुकता बनी रहती है। यह ऐसा विषय है, जिसकी यदि जानकारी न मिले तो, सब कुछ थम सा जाए। कृषि क्षेत्र हो या उड्डयन क्षेत्र यदि मौसम विभाग समय-समय पर इन्हें जानकारी न दे तो फसल चौपट होने और विमान के जहां के तहां खड़े होने की स्थिति आ जाए। मौसम विभाग विशेष रूप से विमानन, जलवायु, जल-विज्ञान व कृषि संबंधी अनुमान व आंकड़ों का संकलन करती है।
देना होता है पल-पल का आंकड़ा
मौसम विभाग की यह शाखा 24 घंटे शुरू रहती है और हर क्षण के आंकड़ों को सहेजती है। इसके आकलन के बाद हर आधे घंटे में इसे विमानन सेवा को भेजती है। इसके आधार पर ही कब और कैसे विमान उतरना है, संभव हो पाता है। इसके लिए मौसम विभाग में अत्यंत आधुनिक मशीन करेंट वेदर इंस्ट्रूमेंट सिस्टम लगाई गई है, जो मौसम संबंधी हर पल के आंकड़े सहेजती है और उसे कागज पर उतारती है।
पूरा भू-विज्ञान शामिल हो गया है इस विधा में
कुल मिलाकर कहा जाए तो आज मौसम विज्ञान में केवल मौसम संबंधी विधा शामिल नहीं है, बल्कि इसमें पूरा भू-विज्ञान है। इसका इस्तेमाल बाढ, सूखा और भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदा का अनुमान लगाने के लिए किया जा रहा है। इसका उपयोग नाविकों, समुद्री जहाजों और उन लोगों द्वारा भी किया जा रहा है जो सड़क एवं विमान यातायात का प्रबंधन संभालते हैं। ये सारी बातें मौसम पर्यवेक्षण टावरों, मौसम गुब्बारों, रडारों, कृत्रिम उपग्रहों, उच्च क्षमता वाले कंप्यूटरों और भिन्न-भिन्न अंकगणितीय मॉडलों से भी संभव हो पाई हैं।
इसलिए यह दिन है खास
वर्ष 1950 में आज के ही दिन संयुक्त राष्ट्र की एक इकाई के रूप में विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) की स्थापना हुई थी और जिनेवा में इसका मुख्यालय खोला गया था। संगठन की स्थापना का उद्देश्य था-मानव के दु:ख-दर्द को कम करना और संपोषणीय विकास को बढ़ावा देना है।
तापमान पर तय होता विमान का वजन
जितना वातावरण का तापमान होगा उस आधार पर ही विमान में ढुलने वाले वजन का हिसाब तय होता है। तापमान कम, तो वजन भी कम। क्योंकि तापमान घटने पर वातावरण बोझिल या भारी होता है और अधिक वजन उठाने के लिए विमान को ताकत भी अधिक लगती है। इसी प्रकार तापमान अधिक तो मौसम सूखा, इसलिए अधिक वजन उठाया जा सकता है। इसके मध्य यह भी तय करना होता है कि गति कितनी हो। तापमान मिलने के बाद ही इसकी गणना की जा सकती है। इसके अलावा विमान के उड़ाने में वातावरण के दबाव की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इससे ऊंचाई का अंदाज लगाया जाता है। दृश्ता की जानकारी भी मौसम विभाग देता है। नागपुर के आसमान से उड़ने वाले विमानों को मौसम की जानकारी देने की जिम्मेदारी नागपुर क्षेत्रीय कार्यालय के एविएशन विभाग की होती है। यह क्षेत्र करीब 400 किमी का होता है। इसे फ्लाइट जोन कहते हैं।
Created On :   23 March 2018 1:18 PM IST