11 साल के यश की बेरहमी से हत्या करने वाले को मिली फांसी

Yash Borkar murder case: Santosh Kalve get sentenced to death
11 साल के यश की बेरहमी से हत्या करने वाले को मिली फांसी
11 साल के यश की बेरहमी से हत्या करने वाले को मिली फांसी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। 11 वर्षीय बच्चे यश बोरकर के हत्यारे संतोष कालवे को अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश शेखर मुनघाटे ने बुधवार को फांसी की सजा सुनाई। गवाह और सबूतों के आधार पर उसे शनिवार को न्यायालय ने दोषी करार दिया था। संतोष कालवे को धारा 302 और 364 (अ) के तहत फांसी, 201 के तहत 7 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई।

आरोपी संतोष वाशिम जिले के दापोली गांव का निवासी है। रोजगार की तलाश में वह नागपुर आया था। हत्या की घटना के दो महीने पहले खापरी में मृतक बालक के पड़ोस में किराए के मकान में रहता था। इसके बाद मकान बदकर उसी बस्ती में दूसरी जगह रहने चला गया। 10 जून 2013 को वह मृतक को चिप्स और कोल्ड्रिंक का लालच देकर अपने साथ ले गया। बच्चे को गांव के बाहर ले जाकर उसने रात 9 से 9.30 बजे के दौरान पत्थर से कुचलकर बच्चे की निर्मम हत्या कर दी और शव मिहान परिसर में पुलिया के नीचे छिपा दिया। इसके बाद मृतक के पिता नितीन बोरकर को मोबाइल से संपर्क कर दो लाख रुपए फिरौती मांगी। पैसे नहीं देने पर यश का अपहरण कर जान से मारने की धमकी दे दी।

फिरौती मांगने के फोन कॉल के बाद मृतक के पिता ने सोनेगांव पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। दूसरे दिन 11 जून को आरोपी को गिरफ्तार करने पर उसने हत्या का गुनाह कबूल किया। आरोपी को घटना स्थल लेजाकर शव बरामद किया गया। न्यायालय ने दो प्रत्यक्षदर्शी के बयान दर्ज किए, जिसमें एक ने आराेपी ने यश को अपने साथ ले जाते देखा था। दूसरे ने काफी समय तक यश को आरोपी के साथ देखा था। गवाह और सबूतों के आधार पर न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई। फरियादी की ओर से विशेष सरकारी वकील विजय कोल्हे ने अदालत में पैरवी की।

मृतक की मां का कहना है कि आरोपी पहले पड़ोस में रहता था। जान-पहचान थी, इसलिए चिप्स और कोल्ड्रिंक देने की बात कहने पर यश विश्वास कर उसके साथ चला गया। परंतु उसने यश के साथ विश्वासघात किया और उसकी हत्या कर दी। न्यायालय ने फांसी की सजा समाज के साथ इंसाफ किया है।


हत्या के बाद आरोपी ने की थी पूजा

हत्या के बाद आरोपी गांव में एक पूजारी के पास गया। वहां उसने पूजा करने का आग्रह किया। पूजारी के मना करने पर वह घर लौटा और उसने खुद ही पूजा की। न्यायालय सुनवाई दौरान पंडित का बयान लेना चाहता था, परंतु इससे पहले ही पंडित की मृत्यु हो गई। आरोपी ने जिस सिम कार्ड से फोन किया था, वह कार्ड फर्जी था। जिसके नाम से कार्ड जारी किया गया था, वह निरक्षर है, जबकि दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए गए हैं। आरोपी द्वारा फर्जी हस्ताक्षर कर दूसरे के दस्तावेज पर सिमकार्ड लेने का जांच में खुलासा हुआ है। सिम कार्ड का पॉकेट आरोपी के मकान से जब्त किया गया। आरोपी अपनी पहचान छिपाने के लिए नाम बलदकर रह रहा था। वह अपनी पहचान छिपाकर पाटील बताता था। उसने पुलिस में नौकरी लगाने का झांसा देकर एक व्यक्ति से 20 हजार रुपए लिए थे।

Created On :   9 May 2018 10:21 PM IST

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