युवा वकीलों को स्वीकार करना चाहिए न्यायधीश का पद

Young lawyers should accept the post of judge
युवा वकीलों को स्वीकार करना चाहिए न्यायधीश का पद
राजस्थान मुख्य न्यायधीश शिंदे की अपील  युवा वकीलों को स्वीकार करना चाहिए न्यायधीश का पद

डिजिटल डेस्क, मुंबई। युवा वकीलों को यदि न्यायाधीश के पद की पेशकश की जाती है तो उन्हें यह पद स्वीकार करना चाहिए। ऐसे वकीलों को न्यायपालिका व कोर्ट आनेवाले पक्षकारों के हित के लिए अपनी वकालत का बलिदान करना चाहिए। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे ने बांबे हाईकोर्ट में अपनी सेवा के आखरी दिन यह बात कहीं। न्यायमूर्ति शिंदे को राजस्थान हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। 14 वर्षों तक बांबे हाईकोर्ट में रहे शिंदे ने कहा कि वकालत में अच्छे व होनहार युवा सामने आ रहे हैं।

ऐसे में यदि इन वकीलों को न्यायाधीश के पद की पेशकश की जाती है तो वे 38 से 40 साल की उम्र में इस पद को अस्वीकार करने की बजाय न्यायापालिक के हित के लिए अपनी वकालत का बलिदान कर न्यायाधीश के पद को स्वीकार करें। हाईकोर्ट के सेट्रल हाल में मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की मौजूदगी में न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा कि वे कोर्ट के निर्धारित समय से अधिक इसलिए अदालत में बैठ पाए क्योंकि वकीलों ने इसके लिए सहयोग दिया जिससे उन्हें देर तक काम करने की ताकत मिली। इसलिए मैं सभी वकीलों का आभारी हूं।

पिछले दिनों केंद्रीय विधि व न्यायमंत्री ने ट्विट के जरिए शिंदे के देर रात तक काम करने को लेकर सराहना की थी। इससे पहले राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने न्यायमूर्ति शिंदे के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित किया। अनिल सिंह ने न्यायमूर्ति शिंदे की हाईकोर्ट की 14 साल की सेवा की सराहना करते हुए कहा कि आपकी (न्यायमूर्ति शिंदे) सरलता के चलते नए वकील भी  खुद को सहज महसूस करते थे।

Created On :   20 Jun 2022 8:19 PM IST

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