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जीवन बचाना आपकी संवैधानिक जिम्मेदारी- हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कोरोना महामारी प्रबंधन से जुड़े राज्य सरकार के अधिकारियों को अपने हालिया आदेश में चेताया है कि भारतीय संविधान की धारा 21 के तहत मानव जीवन बचाने के लिए हर संभव कदम उठाना उनका कर्तव्य है। यदि इसमें जरा भी लापरवाही हुई तो यह न केवल संविधान की धारा का उल्लंघन होगा, बल्कि कानून में इसके लिए आपराधिक मुकदमे का भी प्रावधान है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी चिकित्सा सुविधाओं के प्रबंधन में लापरवाही से नाराज होकर की है। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मरीजों के इलाज के लिए पर्याप्त रेमडेसिविर की आपूर्ति नहीं हो रही है। मामले में कई प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है, जिसके चलते हाईकोर्ट सख्त तेवर दिखाए हैं।
हर हाल में रेमडेसिविर का अनावश्यक उपयोग रोकें
हाईकोर्ट ने कोरोना का इलाज करने वाले चिकित्सकों से अपील की है कि वे अनावश्यक रूप से रेमडेसिविर के इस्तेमाल से बचें, क्योंकि विश्व के अधिकांश विशेषज्ञों की सलाह है कि रेमडेसिविर कोरोना का इलाज नहीं है, बल्कि महज एक इन्वेस्टिगेशन ड्रग है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इस संबंध में आदेश जारी कर चुका है। प्रदेश सरकार ने भी इस संबंध में एसओपी जारी की है। इसके बावजूद कई चिकित्सक इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, वे ऐसा न करें। कई अस्पताल मरीजों को चिट्ठी देकर बाजार से रेमडेसिविर खरीदने को कह रहे हैं, जबकि यह इंजेक्शन सीधे अस्पताल में ही उपलब्ध हो सकता है। मजबूरी में लोग चिट्ठी लेकर बाजार में रेमडेसिविर खरीदने निकलते हैं और इससे कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है। लिहाजा, अस्पताल मरीज के परिजनों को बाजार से यह इंजेक्शन लाने को न कहें, बल्कि अस्पताल की फार्मेसी में ही इसे उपलब्ध कराएं। कालाबाजारी रोकने का यही बस एक उपाय है।
Created On :   3 May 2021 10:47 AM IST