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गेहूं के पौधों के डंठल से बनाया स्ट्रॉ , युवक ने बनाया ईको इको फ्रेंडली स्ट्रॉ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गेहूं के पौधों के डंठल से नागपुर के एक युवक ने स्ट्रॉ बनाया है। पर्यावरण के लिए चुनौती बन चुके प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए उसका विकल्प विकसित किया जाना जरूरी है। इस क्षेत्र में शहर के श्रेयस नंदनवार ने नई पहल की है। नागपुर के प्रियदर्शनी कॉलेज से आर्किटेक्ट की डिग्री और अहमदाबाद के सीईपीटी से अर्बन प्लाॅनिंग में पीजी करने वाले श्रेयस ने प्लास्टिक स्ट्रॉ की जगह यह विकल्प तलाशने में सफल रहे हैं। इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा और किसानों को फसल के बाद बचने वाले पराली से आर्थिक लाभ भी मिल सकेगा। श्रेयस ने गेहूं के पौधों के डंठल से स्ट्रॉ बनाने की तकनीक विकसित की है। उन्होंने बताया कि राज्य में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लग चुका है, लेकिन उसके स्थान पर सस्ते विकल्पों की कमी के कारण प्रतिबंध पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रहा है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति रूझान ने उन्हें इस दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया है।
करोड़ों स्ट्राॅ का डेली यूज
पर्यावरण के अनुकूल स्ट्रॉ बनाने से पहले श्रेयस ने प्लास्टिक के स्ट्रॉ के उपयोग का विस्तार से अध्ययन किया। इस दौरान पता चला कि अहमदाबाद जैसे शहर में फास्ट फूड कंपनी के एक आउटलेट में प्रति दिन 900 से 1000 स्ट्रॉ का उपयोग किया जाता है। अहमदाबाद शहर में उसके 13 आउटलेट हैं और गुजरात में 40, जबकि पूरे भारत में 2071 है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि केवल इन आउटलेट्स में एक ही दिन मंे कितनी बड़ी मात्रा में प्लास्टिक के स्ट्रॉ का उपयोग किया जाता है। प्लास्टिक के स्ट्रॉ बायोग्रेडेबल नहीं हैं। ये वर्षों तक पर्यावरण में मौजूद रहते हैं।
सिंगापुर में मिली प्रेरणा
प्लास्टिक के उत्पादों की जगह प्रकृति अनुकूल उत्पाद तैयार करने का विचार श्रेयस को सिंगापुर और वियतनाम में आया। वे अपने स्टडी टूर के लिए सिंगापुर गए थे। वहां उन्होंने देखा कि रेस्त्रां और होटलों में बड़े स्तर पर बांस के स्ट्रॉ का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा भी पर्यावरण के लिए सुरक्षित विकल्पों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने वियतनाम में भी ऐसे उपयोग देखे। उन्हें लगा ऐसे विकल्प भारत में भी तैयार किए जाने चाहिए, जिससे पर्यावरण के संरक्षण को बढ़ावा मिल सके। इसी प्रेरणा से पीजी की पढ़ाई के दौराना उन्होंने थीसिस के लिए प्लास्टिक के स्ट्रॉ को विकल्प का विषय चुना।
पर्यावरण अनुकूल घर, शहर
श्रेयस भविष्य में पर्यावरण अनुकूल घर और शहर बनाने की तकनीक विकसित करने की दिशा में काम करना चाहते हैं। उनका कहना है अब समय आ चुका है, जब पर्यावरण के विषय को और अनदेखा नहीं किया जा सकता है। पर्यावरण अनुकूल घर से ही पर्यावरण अनुकूल शहर विकसित होने की राह बनेगी।
Created On :   10 Jun 2019 10:55 AM IST