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युवा संवाद में कानिटकर ने कहा, यूथ अपनी ऊर्जा का देश विकास में करें उपयोग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। युवावस्था में ऊर्जा सबसे अधिक रहती है इस उम्र में शारीरिक, बौद्धिक और भावनात्मक विकास अत्यंत आवश्यक है। युवावस्था में कुसंगतियों की ओर ध्यान जाता है, ऐसे गलत कार्यों की ओर खींचने वाली चीजों से दूर होकर स्वयं व देश के विकास में योगदान करने दिशा में अपनी ऊर्जा का उपयोग करें। यह बात भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने युवा संवाद में कही। वह भारतीय शिक्षण मंडल के महल स्थित केंद्रीय कार्यालय पर युवा संवाद के माध्यम से युवाओं से चर्चा कर रहे थे। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. अरविंद जोशी भी उपस्थित थे। नागपुर के चेन्नई में विस्तारक के रूप में काम कर रहे अंकित कलकोटवार, नागपुर के अनूप विट्ठल कोणनुरु व बड़ी संख्या में युवा उपस्थित थे।
मन को दिशा देकर गति लाएं
संगठन मंत्री श्री कानिटकर ने कहा कि शारीरिक विकास के िलए सामर्थय व सहनशक्ति को बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। इसके िलए 108 सूर्य नमस्कार के अलावा दौड़, व्यायाम या अन्य माध्यमों का उपयोग कर सकते हैं। बौद्धिक विकास के लिए मन को न सिर्फ नियंत्रित बल्कि दिशा देकर गति लाना चाहिए। बौद्धिक विकास के लिए तार्किक चिंतन, संवाद में कुशलता, देश व विश्व के सामाजिक विषयों पर मंथन आदि कई मार्ग हो सकते हैं। भावनात्मक विकास के लिए ध्यान देना होगा कि किशोरावस्था से मनुष्य में भावनात्मक असंतुलन सहजता शुरू होती है। युवावस्था में यह शिखर पर रहती है। मंत्रजाप, तप, स्तोत्र आदि का नित्य पाठ करने से भावना शुद्ध रहेगी।
गुरुकुल शिक्षा को पुन: स्थापित करना होगा
भारत एक स्वर्णिम युग को अनुभव कर रहा है। क्रीड़ा, विज्ञान सहित अन्य क्षेत्रों में 21वीं सदी में भारत अग्रिम स्थान की ओर बढ़ रहा है। आर्थिक विकास में भी आगे बढ़ रही है। 1940 के दशक में फिर 1970 के दशक में, 2010 और फिर प्रमुख रूप से 2015 के योग दिवस के बाद, भारत एक बार फिर से स्वर्णिम कालखंड में है। 21 जून 2015 को भारत माता विश्व गुरु के स्थान पर फिर पहुंचा। इसको साकार अनुभव करने के लिए गुरुकुल शिक्षा को पुन: स्थापित करना होगा।
Created On :   22 Nov 2018 2:09 PM IST