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जिला परिषद सीधे जनता से जुड़ीं योजनाओं को दिखा रही ठेंगा, निर्माण कार्य पर जोर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला परिषद द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए विविध काम किए जाते हैं। इस साल कोरोना के चलते आर्थिक हालात बिगड़ चुके हैं। ऐसे में जिप का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्य ग्रामीण जनता को लाभ दिलाने वाली योजना के प्रति उदासीनता बरत रहे हैं।
सालाना 50-60 लाख दिए जाते हैं
जिप के 58 सदस्यों को विविध योजनाओं के लिए सालाना 50 से 60 लाख रुपए दिए जाते हैं। इसके अलावा निजी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए लाभार्थी संख्यानुसार लाभ दिया जाता है। यह योजनाएं सीधे मतदाताओं से संबंधित होती हैं, लेकिन निधि के अभाव में इन योजनाओं पर काम नहीं हो रहा है। अब सदस्यों की रुचि निर्माण योजनाओं के प्रति दिखाई दे रही है। इस साल सरकार से निधि प्राप्त नहीं होने से योजनाओं पर अमल करने में समस्याएं पैदा हुई है। वहीं निर्माणकार्य विभाग के पास निधि जमा है। राज्य सरकार, खनिज विभाग, डीपीडीसी व 15वां वित्त आयोग व अन्य मदों की निधि का उपयोग रास्ते, पुलिया व स्कूलों पर खर्च की जा रही है।
चर्चा...असली कारण तो यह है
ग्रामीणों योजना का लाभ सीधे डीबीटी के माध्यम से उनके बैंक खाते में जमा किया जाता है। इस कारण सदस्यों को कोई लाभ नहीं मिलता है। इसलिए जिप सदस्य इसके प्रति उदासीनता बरतने की चर्चा है। बताया जाता है कि सदस्य यदि चाहें तो ग्रामीणों की विविध योजनाओं का लाभ दिला सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।
अनदेखी...किसानों की उम्मीदें टूटीं
सूत्रों के अनुसार 2021-22 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए बड़ी राशि का प्रावधान किया गया है। इस कारण किसानों को इसका लाभ मिलने की उम्मीद थी। सेस फंड से किसानों को ताड़पत्री, एचडीपी पाइप, मोटरपंप आदि वितरित की जाती है, लेकिन पिछले दो सालों से किसानों की अनदेखी की जा रही है।
Created On :   26 July 2021 1:06 PM IST