जिप प्रशासन विफल, वनविभाग बुझा रहा ग्रामीणों की प्यास 

zip administration failed, forest department is quenching the thirst of villagers
जिप प्रशासन विफल, वनविभाग बुझा रहा ग्रामीणों की प्यास 
गांवों में जलसंकट  जिप प्रशासन विफल, वनविभाग बुझा रहा ग्रामीणों की प्यास 

डिजिटल डेस्क, अमरावती। तापमान में धीरे-धीरे हो रही बढ़ोतरी के साथ ही ग्रीष्मकाल का आगमन भी होने लगा है। हर वर्ष गर्मियों की शुरुआत से पहले जिला परिषद के जलापूर्ति विभाग द्वारा जल संकटग्रस्त गांवों का सर्वेक्षण कर यहां के नागरिकों की प्यास बुझाने के लिए योजना बनाई जाती है। लेकिन इस वर्ष जिप की उपाय योजना अब तक शुरू नहीं हो पाई है। जबकि चिखलदरा और धारणी तहसील के कई गांवों में अभी से ही नागरिक जलसंकट से हलाकान दिखाई दे रहे हैं। 

मेलघाट के सेमाडोह, गाडगा, भांडुम, कोखला सहित करीब 16 ऐसे गांव हैं, जहां पंचायत समिति की जलापूर्ति व्यवस्था ठप पड़ चुकी है। मजबूरन इन गांवों में रहनेवाले आदिवासी 15 से 20 किमी की दूरी को पारकर पानी लाने पर विवश हो गए हैं। ग्रामीणों की समस्या को हल करने में जिप प्रशासन की विफलता के बीच वनविभाग स्थानीय आदिवासी आबादी के लिए सहारा बनकर सामने आया है। व्याघ्र प्रकल्प विभाग की ओर से कुल 6 ग्रामपंचायतों की 11 गांवा में रहनेवालों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था की गई है। 
सामाजिक वनीकरण अभियान के तहत सौर ऊर्जा जलापूर्ति योजना के तहत ग्रामीणों की प्यास बुझाई जा रही है। 

मार्च के अंत से लेकर मई के दौरान इन गांवों में भीषण जलसंकट निर्माण हो जाता है। ऐसे में केवल धारणी और चिखलदरा तहसीलों में ही 15 टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की जाती है। लेकिन इस बार समय से पहले पीने के पानी का संकट निर्माण हो जाने से आदिवासी ग्रामीण हलाकान होते दिखाई दे रहे हैं। विशेष बात यह है कि यह सभी गांव धारणी मुख्यालय से केवल 20 किमी की दूरी पर ही स्थित है। जिला परिषद की ओर से 1 अप्रैल से टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति किए जाने के आदेश दिए गए हैं। ऐसे में अगले करीब 120 दिनों तक ग्रामीण वनविभाग की सहायता पर निर्भर हैं। 


 

Created On :   17 March 2022 4:02 PM IST

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