Chhapaak Review: दीपिका के किरदार को देखकर कांप जाएंगी आपकी रुह, एक बार जरुर देखें फिल्म

Chhapaak Review: दीपिका के किरदार को देखकर कांप जाएंगी आपकी रुह, एक बार जरुर देखें फिल्म

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-10 04:50 GMT

डिजिटल डेस्क, मुम्बई। सिनेमा जगत को वास्तविक दुनिया का काल्पनिक चित्रण कहा जाता है, जो समाज को आइना दिखाने का काम करता है। अब तक ऐसे कई सामाजिक मुद्दे है, जिन पर सिनेमा के द्वारा प्रकाश डाला गया है। महिला सशक्तिकरण को बढ़ाने में भी सिनेमा का अहम योगदान रहा है। ऐसे में मेघना गुलजार द्वारा निर्देशित फिल्म "छपाक" इस क्षेत्र में एक और अहम कदम है। इस फिल्म में एसिड अटैक सवाईवर लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी को बताया गया है। बॉलीवुड एक्ट्रेस दी​पिका पादुकोण स्टारर फिल्म छपाक आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म में उनके साथ विक्रांत मेसी, मधुरजीत सरगी, अंकित बिष्ट, देलजाद हिवाले, गोविंद सिंह संधू जैसे कलाकार अहम भूमिका में हैं। फिल्म की कुल अवधि 2 घंटे 18 मिनट है। 

कहानी
फिल्म की कहानी की शुरुआत ऐसिड विक्टिम सर्वाइवर मालती (दीपिका पादुकोण) से होती है, जो नौकरी की तलाश में है। इस दौरान मालती को बार बार उस पर हुए तेजाबी हमले की याद दिलाई जाती है। एक पत्रकार उन्हें ढूंढकर उनका इंटरव्यू करती है, इस इंटरव्यू में ही उनसे जुड़ी कई परतें खुलती है। इसके बाद वे एसिड अटैक सवाईवर्स पर काम करने वाले एनजीओ से जुड़ती हैं। इसी एनजीओ में उनकी मुलाकात एनजीओ के कर्ता-धर्ता अमोल (विक्रांत मेसी) से होती है। इस दौरान मालती अपने जैसी कई लड़कियों से मिलती है।

19 साल की मालती, जो सिंगर बनना चाहती है, लेकिन बशीर खान उर्फ बबू द्वारा किए गए अमानुषी एसिड अटैक के बाद उसकी जिंदगी पहले जैसे कभी नहीं रह पाती। अपने कुरुप चेहरे और समाज की उलाहनों और तिरस्कार के बीच एक चीज नहीं बदलती और वह होता है, परिवार का सपॉर्ट और वकील अर्चना (मधुरजीत सरघी) का मालती को इंसाफ दिलाने का जज्बा। अर्चना की प्रेरणा से ही वह ऐसिड को बैन किए जाने की याचिका दायर करती है। इस हौलनाक सफर में मालती का चेहरा भला छीन लिया जाता हो, मगर उसकी मुस्कान कोई नहीं छीन पाता।

निर्देशन
राजी और तलवार जैसी फिल्मों को निर्देशित कर चुकी मेघना का निर्देशन वैसे ही बहुत कमाल है। इस फिल्म को उन्होंने काफी रियलस्टिक रखा है।  ऐसिड अटैक की त्रासदी को कहीं भी मेलोड्रैमेटिक या सनसनीखेज नहीं होने दिया। इंटरवेल के बाद फिल्म की कहानी रफ्तार पकड़ती है और बाद में जो होता है। वह देखने लायक है। मेघना ने अपने निर्देशन से एक बार फिर खुद को साबित कर दिया। 

एक्टिंग और म्यूजिक
फिल्म में दीपिका की एक्टिंग काबिल ए तारीफ है। उनका किरदार देखकर आपकी रुह कांप जाएंगी। उन्होंने मालती की भूमिका को इतनी सहज तरीके से निभाया है कि उन्हें देखकर जरा भी नहीं लगता कि वे एक सुपरस्टार हैं। एक दृश्य में अपनी इमिटेशन जूलरी और कपड़ों को बैग में रखते हुए कहती हैं, "न नाक है और न कान , ये झुमके कहां लटकाऊंगी मां?" विक्रांत मेसी ने अपनी भूमिका को जानदार बनाया है। उन्हें और ज्यादा स्क्रीन स्पेस दिया जाना चाहिए था। लॉयर अर्चना की भूमिका में मधुरजीत सरगी ने लाजवाब अभिनय किया है। अन्य कलाकारों ने भी अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया है। फिल्म के गाने पहले ही काफी पसंद किए जा चुके हैं। 

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