सुब्रमण्यन के आरोपों पर सरकार ने कहा- हमनें सही तरीकों से किया GDP कैलकुलेशन

सुब्रमण्यन के आरोपों पर सरकार ने कहा- हमनें सही तरीकों से किया GDP कैलकुलेशन

Bhaskar Hindi
Update: 2019-06-11 19:34 GMT
सुब्रमण्यन के आरोपों पर सरकार ने कहा- हमनें सही तरीकों से किया GDP कैलकुलेशन
हाईलाइट
  • GDP के आंकड़े अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखकर जारी किए गए
  • सरकार ने सुब्रमण्यन के GDP की संख्या के कैलकुलेशन को खारिज कर दिया
  • सरकार ने कहा कि GDP की गणना में हमनें उचित तरीके अपनाए हैं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) अरविंद सुब्रमण्यन के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की संख्या के कैलकुलेशन को खारिज कर दिया। सरकार ने कहा कि GDP की गणना में उचित तरीके अपनाए गए हैं। जो भी आंकड़े जारी किए गए हैं वे अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखकर जारी किए गए हैं। बता दें कि सुब्रमण्यन ने कहा था कि सरकार का 7 प्रतिशत के करीब दर्शाया गया GDP का आंकड़ा गलत है असल में इसे 4.5% के करीब होना था।

मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन (MOSPI) ने कहा कि सुब्रमण्यन का भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान मुख्य रूप से इंडिकेटरों के एनालिसिस पर आधारित है। जैसे बिजली की खपत, दोपहिया बिक्री, इकोनोमेट्रिक मॉडल के जरिए कमर्शियल वाहन बिक्री। मंत्रालय ने कहा, किसी भी अर्थव्यवस्था में जीडीपी का अनुमान एक जटिल प्रक्रिया है जहां अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन को बेहतर ढंग से मापने के लिए कई उपाय और मैट्रिक्स विकसित किए जाते हैं।

मंत्रालय ने कहा, जीडीपी के आकलन के लिए किसी भी बेस रिविजन के साथ, जैसे ही नए और अधिक नियमित डेटा स्रोत उपलब्ध हो जाते हैं, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पुरानी और नई सीरीज की "तुलना" सरलीकृत मैक्रो-इकोनोमेट्रिक मॉडलिंग के लिए उत्तरदायी नहीं है। यह भी देखा जा सकता है कि विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा लाए गए जीडीपी विकास अनुमान मोटे तौर पर MOSPI द्वारा जारी अनुमानों के अनुरूप होते हैं। मंत्रालय द्वारा जारी जीडीपी का अनुमान स्वीकृत प्रक्रियाओं, कार्यप्रणाली और उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है और अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों के योगदान को मापते हैं।

मंत्रालय ने जोर दिया कि अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तन के साथ ये आवश्यक है कि जीडीपी, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी), उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के बेस ईयर को संशोधित किया जाए। ऐसा इसलिए ताकि समय-समय पर यह सुनिश्चित किया जा सके कि इंडिकेटर प्रासंगिक बने रहें और संरचनात्मक परिवर्तनों को अधिक वास्तविक रूप से रिफलेक्ट करें।

इस तरह के संशोधन न केवल सेंसस और सर्वेक्षण से नवीनतम डेटा का उपयोग करते हैं, बल्कि वे प्रशासनिक डेटा की जानकारी भी शामिल करते हैं। भारत में, जीडीपी सीरीज का बेस ईयर 2004-05 से 2011-12 तक संशोधित किया गया था और 30 जनवरी, 2015 को जारी किया गया था।

बता दें कि अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा था कि वित्तीय वर्ष 2011-12 और 2016-17 के दौरान देश की आर्थिक विकास दर को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। सुब्रमण्यन के अनुसार, इन वित्तीय वर्षों में विकास दर 2.5% बढ़ाकर प्रदर्शित की गई। उनके अनुसार वित्तीय वर्ष 2011-12 और 2016-17 के दौरान जहां विकास दर का आधिकारिक आंकड़ा 7 प्रतिशत के करीब दर्शाया गया था वह असल में 4.5% के करीब था।
 

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