उत्तर भारत भी बनेगा मछली निर्यात का केंद्र : गिरिराज सिंह
उत्तर भारत भी बनेगा मछली निर्यात का केंद्र : गिरिराज सिंह
नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)। केंद्रीय पशुपालन मत्स्यपालन एवं डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने मंगलवार को कहा कि पहले दक्षिण भारत और समुद्र तटीय प्रांतों से ही मछली और इससे संबंधित उत्पादों का निर्यात होता था, लेकिन अब उत्तर भारत भी निर्यात का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खारे पानी के तालाबों में श्रिंप यानी झींगा उत्पादन की अपार संभावना है।
केंद्रीय मंत्री प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत अगले पांच साल में देश में मछली पालन को बढ़ावा देने और निर्यात को दोगुना करने के लक्ष्य को लेकर एक प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भारत में मछली उत्पादन के क्षेत्र में अपार संभावानाएं हैं और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 20,050 करोड़ रुपये की राशि के निवेश से इस क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि देश से मत्स्य उत्पादों का निर्यात अगले पांच साल में 46,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य है।
मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद पिछले साल पशुपालन मत्स्यपालन एवं डेयरी का नया मंत्रालय बना और पहले ही बजट में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की घोषणा की गई।
कोरोना महामारी के संकट के दौर में मिल रही आर्थिक चुनौतियों से देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए प्रधानमंत्री नरंेद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की, जिसमें मछली पालन क्षेत्र के लिए भी पीएमएमएसवाई के तहत 20,050 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसे हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत मछली पालन क्षेत्र में बुनियादी संरचना निर्माण, आधुनिकीकरण, उत्पादन ट्रेंसिबिलिटी, पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट और क्वालिटी कंट्रोल पर जोर दिया जाएगा।
सिंह ने बताया कि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से इस क्षेत्र में मजबूती आएगी। उन्होंने कहा कि मछुआरों को समुद्र में मछली पकड़ने के लिए भी जानकारी मिलेगी कि कहां पर उनकों मछली मिल सकती है।
-- आईएएनएस