गड़िचरोली जिले में रिक्त पड़े हैं 2 हजार पद, आने से करता रहे अधिकारी-कर्मचारी

गड़िचरोली जिले में रिक्त पड़े हैं 2 हजार पद, आने से करता रहे अधिकारी-कर्मचारी

Anita Peddulwar
Update: 2019-05-06 10:27 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। नक्सल प्रभावित गड़चिरोली जिले के लिए सरकार निधि तो आवंटित करती है, लेकिन यहां नियुक्ति के लिए कर्मचारी तैयार नहीं होते हैं। केंद्र तथा राज्य सरकार नक्सल प्रभावित और आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले के विकास के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रुपयों की निधि आवंटित करती है। सरकार द्वारा प्राप्त निधि के नियोजन की जिम्मेदारी राजस्व और जिला परिषद को सौंपी गयी है। इसके अंतर्गत आने वाले कृषि, शिक्षा, ग्रामविकास, पशुसंवर्धन, स्वास्थ्य विभाग समेत 74 सरकारी कार्यालयों में रिक्त पदों का अंबार लगा है, जिससे सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर असर पड़ रहा है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले के विभिन्न विभागों में कुल 2 हजार 851 पद रिक्त होने की जानकारी मिली है। जिला प्रशासन के पास अधिकारियों एवं कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या उपलब्ध नहीं होने से आम जनता तक पहुंचना कठिन साबित हो रहा है। जानकारी के मुताबिक गड़चिरोली जिले में वर्ग 1 तथा वर्ग 2 के अधिकारियों की नियुक्ति तबादले से की जाती है। जबकि गड़चिरोली जिले के नाम सुनते ही अधिकारी यहां आने से कतराते हैं। हालांकि, पुलिस विभाग ने तबादले को लेकर कड़े नियम बनाए हैं। इन नियमों के कारण मुंबई, पुणे के पुलिस अधिकारी गड़चिरोली में अपनी सेवा दे रहे है।

अन्य विभागों में तबादलों के संदर्भ में कड़ी नीति नहीं अपनाएं जाने से जिले में रिक्त पदों का अनुशेष बढ़ रहा है। जबकि सरकार द्वारा प्राप्त निधि के नियोजन की जिम्मेदारी राजस्व और जिला परिषद को सौंपी गयी है। इसके अंतर्गत आनेवाले कृषि, शिक्षा, ग्रामविकास, पशुसंवर्धन, स्वास्थ्य विभाग समेत 74 सरकारी कार्यालय हैं। इन कार्यालयों में 514 पद मंजूर होकर इनमें से 189 पद रिक्त हैं। राजस्व विभाग में 18 नायब तहसीलदार समेत पांच तहसीलदार और एक अपर जिलाधीश का पद रिक्त पड़ा है। जिप के तहत आने वाले एकात्मिक बाल विकास प्रकल्प अधिकारी समेत पद भी रिक्त है। वहीं जिले में वर्ग 2 के अधिकारियों के 1 हजार 126 पद मंजूर हैं, जिनमें से 270 पद रिक्त हैं। वर्ग 3 के 8 हजार 169 मंजूर पदों में से 1 हजार 570 पद रिक्त पड़े हैं। कुल मिलाकर जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों में 2 हजार 851 पद रिक्त होने से आम जनता को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। 

स्वास्थ्य विभाग में सर्वाधिक पद रिक्त 
आदिवासी नागरिकों को प्रभावी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण किया गया है। मात्र स्वास्थ्य विभाग में डाक्टरों के कई पद रिक्त पड़े हैं। जिनमें जिप के तहत वर्ग 1 के 72 पद रिक्त होने की जानकारी है, जिसमें 27 पद वैद्यकीय अधीक्षकों के हैं। वर्ग 2 के वैद्यकीय अधिकारियों के 16 पद रिक्त हैं। डाक्टरों की कमी होने के कारण अधिकांश कार्यरत डाक्टरों पर दो से तीन अस्पतालों की जिम्मेदारी सौंपी गयी है, जिससे मरीजों का इलाज कर पाना कठिन साबित हो रहा है। 

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