24 घंटे हाईटेंशन लाइन के टॉवर पर चढ़े रहे किसान, लिखित समझौते के बाद खत्म हुआ ड्रामा

24 घंटे हाईटेंशन लाइन के टॉवर पर चढ़े रहे किसान, लिखित समझौते के बाद खत्म हुआ ड्रामा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-12 12:00 GMT
24 घंटे हाईटेंशन लाइन के टॉवर पर चढ़े रहे किसान, लिखित समझौते के बाद खत्म हुआ ड्रामा

डिजिटल डेस्क, सतना। सतना से तकरीबन 80 किलोमीटर दूर रामनगर के बटैया गांव में 3 किसान अपने ही खेत में गड़े 200 मीटर ऊंचे टॉवर पर चढ़ गए। उनके खेतों में लगाए गए टॉवर के लिए जो जमीन एवं पेड़ नष्ट हुए उसका मुआवजा अभी तक नहीं दिया गया। कई बार गिड़गिड़ाने के बावजूद जब इन किसानों को मुआवजे के नाम पर एक फूटी तक कौड़ी नहीं मिली तो उन्होंने यह रास्ता अख्त्यिार कर लिया। मंगलवार की दोपहर को चढ़े ये तीनों किसान बुधवार को दोपहर उस समय उतरे जब कंपनी ने मुआवजा देने का लिखित आश्वासन दे दिया। इस दौरान पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी परेशान होते रहे। एसडीएम की उपस्थिति में कंपनी के अधिकारियों ने किसानों को लिखित आश्वासन दिया कि जब तक वे किसानों का मुआवजा नहीं दे देते तब तक आगे काम नहीं बढ़ाएंगे।

किस बात का पाना है मुआवजा
मुआवजा न बनने से क्षुब्ध बटैया गांव के तीन किसान द्वारिका पटेल, लोली यादव और चिंतामणि पटेल पॉवर ग्रिड के टॉवर में चढ़ गए। जानकारों की माने तो द्वारिका के खेत में 200 मीटर का भूखण्ड, एक बोरवेल, एक कमरा, लहलहाती धान की फसल और कुछ पेड़ टॉवर के दायरे में आते हैं, जबकि लोली को खेत में टॉवर गाड़े जाने के एवज में एक इंदारा, आम, बबूल, बेर और खड़ी फसल का मुआवजा मिलना है। इसी तरह चिंतामणि को भी पॉवर ग्रिड से धान, उड़द की खड़ी फसल तथा कहवा, आम, सागौन के पेड़ों का मुआवजा पाना है।

मुआवजे की जानकारी भी नहीं
किसानों का आरोप है कि उन्हें मुआवजा तो दूर अब तक इन्हें यह भी नहीं पता कि मुआवजा कितना बनाया गया है। जब भी मुआवजे के लिए आंदोलन का रास्ता अख्त्यिार करते हैं तो पुलिस और प्रशासन को आगे कर आंदोलन को कुचल दिया जाता है और मुआवजा के नाम पर एक पाई तक नहीं दिलवाई गई है। बता दें कि तीन किसानों में से द्वारिका पटेल अभी कुछ दिन पहले भी अपनी मांगों को मनवाने के लिए टॉवर पर चढ़ चुका है। जिसके चलते प्रशासन ने मुआवजा दिलवाने का आश्वासन दिया था मगर अब तक कुछ नहीं हुआ।

 

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