पोल्यूशन के कारण 3,622 करोड़ की हानि, स्वास्थ्य पर सबसे अधिक बुरा असर

पोल्यूशन के कारण 3,622 करोड़ की हानि, स्वास्थ्य पर सबसे अधिक बुरा असर

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-12 11:40 GMT
पोल्यूशन के कारण 3,622 करोड़ की हानि, स्वास्थ्य पर सबसे अधिक बुरा असर

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  शहर में बढ़ते वायु पोल्यूशन के कारण मानव स्वास्थ्य पर हो रहे दुष्प्रभावों का आकलन किया जाए तो वर्ष 2016 में पीएम 10 के कारण 3,622 करोड़ रुपए की हानि हुई। इसमें वायु पोल्यूशन के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों से मौत, बीमारी और अक्षमता के कारण होने वाले नुकसान को शामिल किया गया है। हालांकि इसके अलावा पीएम-2 सहित कई अन्य प्रदूषकों के कारण भी हानि हो रही है और वायु प्रदूषण के अलावा जल प्रदूूषण, ध्वनि प्रदूषण सहित सभी प्रकार के प्रदूषण से इस तरह का नुकसान पहुंच रहा है। स्पष्ट है कि यह नुकसान, दिए गए आंकड़ों से काफी ज्यादा है। इसके साथ ही नाग नदी विभिन्न प्रकार के प्रदूषकों के उपचार पर वर्ष 2016 में कुल 11,531 लाख रुपए की लागत आई। यह खुलासा नागपुर के एनवायरमेंट स्टेटस रिपोर्ट 2018-19 में हुआ है। 

नीरी की ओर से रिपोर्ट मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर को सौंपी गई। इस दौरान नीरी की रिसर्च सेल के प्रमुख व सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट आत्या कापले ने रिपोर्ट के सभी पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। यह रिपोर्ट आत्या कापले के नेतृत्व में रीता धोडापकर, हेमंत भेरवानी, अमिता बाफना, वीजी जार्ज, रितेश विजय, सुनील कुमार, आशिफ कुरैशी, शालिनी  ध्यानी, श्रद्धा कोसनकर, संगीता गोयल, लीना देशपांडे, सुलभा लामा, आशा चेल्लानी, स्वर्णा देवी व लाल सिंह ने तैयार की है।

वायु प्रदूषण के कई तरह के दुष्प्रभाव होते हैं। इनमें मानव स्वास्थ्य पर असर के कारण मृत्यु दर और अस्वस्थता में वृद्धि हो रही है। असमय मौत से मानव संसाधन काे नुकसान पहुंचता है और बीमारी के कारण मानव संसाधन के साथ-साथ उपचार का खर्च भी शामिल हो जाता है। वायु प्रदूषण के कारण दृश्यता की कमी के कारण यातायात की सुगमता प्रभावित होती है और दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। वातावरण में उपस्थित खतरनाक रसायनों के कारण फसलों की उपज पर भी प्रभाव पड़ता है। एसिड रेन का प्रभाव फसल के साथ-साथ जंगलों पर भी पड़ता है।

सुझावों के आधार पर बनाई जाएगी कार्य योजना
रिपोर्ट में शामिल सभी मुद्दों पर काम करने के लिए योजना तैयार की जाएगी। पर्यावरण सीधे-सीधे लाेगों के जीवन के गुणवत्ता से जुड़ा हुआ है। नीरी की ओर से दिए गए कई सुझाव बेहतरीन हैं। उन पर तत्काल कार्य शुरू किया जा सकता है। भांडेवाड़ी में बफर जोन बनाने, शहर के पार्कों को ग्रीन एरिया से जोड़ना, पेड़ों की गणना जल्द से जल्द करवाई जाएगी।   - अभिजीत बांगर, मनपा आयुक्त

एक नजर में रिपोर्ट

  • पिछले 148 वर्षों में नागपुर के तापमान में 0.7 डिग्री संेटीग्रेट की वृद्धि दर्ज हुई है।
  • शहर में बढ़ते शहरीकरण और ग्रीन कवर में कमी के कारण तापमान को सोखने वाले क्षेत्र में भारी कमी आ चुकी है।
  • वर्षा के पैटर्न में भी बदलाव आ गया है। जुलाई और सितंबर माह में वर्षा में कमी और जून और अगस्त में वृद्धि हुई है। कम समय में अधिक बारिश के कारण जल बहाव ज्यादा और अवशोषण में कमी आ गई है।
  • रिमोट सेंसिंग से प्राप्त चित्रों से साफ है कि खुले ग्रीन स्पेस और ब्ल्यू स्पेस में कमी आई है। ग्रीन जंगल और ब्ल्यू जलस्रोतों को बताते हैं। अर्बन जंगल, संस्थाओं के ग्रीन स्पेस, पार्क, खेल के मैदान व अन्य मैदान तेजी से सिकुड़ रहे हैं।
  • निर्माण कार्यों के कारण नाग नदी और पीली नदी के ड्रेनेज बेसिन पर भारी दबाव पड़ता है।
     
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