38 साल बाद ली सुध, चमचमाने लगा नागपुर का नंगा पुतला चौंक, सड़क हादसे में बच्चे की मौत पर बनी यादगार

38 साल बाद ली सुध, चमचमाने लगा नागपुर का नंगा पुतला चौंक, सड़क हादसे में बच्चे की मौत पर बनी यादगार

Tejinder Singh
Update: 2019-02-09 12:46 GMT
38 साल बाद ली सुध, चमचमाने लगा नागपुर का नंगा पुतला चौंक, सड़क हादसे में बच्चे की मौत पर बनी यादगार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रभाग क्रमांक 19 इतवारी, जागनाथ रोड, गांधीबाग स्थित नंगा पुतला चमकने लगा है। 38 साल बाद इसकी मरम्मत और रंगरोगन किया जा रहा है। जीर्ण हो चुके इस पुतले की अनेक स्थानों पर मरम्मत कर फिनिशिंग की गई है। इसके अलावा कमल और पंजे को भी सुधारकर नवीनीकरण किया गया है। रेलिंग समेत अन्य सभी तरह का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। यह काम प्रभाग के एक पार्षद की वार्ड निधि से किया जा रहा है। इस पर डेढ़ लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं इसके नियमित रखरखाव और सफाई के लिए आदमी भी रखा जाएगा। इस चौराहे की पुरानी पहचान के रूप में यहां वल्लभाचार्य चौक के नाम का बोर्ड लगाया गया है। डीबी स्टार ने नंगा पुतला चौंक की बदहाली को लेकर खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद प्रभाग की पार्षद विद्या राजेश कन्हेरे ने इसका संज्ञान लिया था। उन्होंने इसकी मरम्मत व रंगरोगन की फाइल मनपा से मंजूर करवाकर काम शुरू करवाया है। 

1971 में हुई थी दुर्घटना

गौरतलब है कि नंगा पुतला चौक का निर्माण एक बच्चे की दुर्घटना में मृत्यु होने के कारण बनाया गया था। 7 नवंबर 1971 को धारस्कर रोड परिसर में रहनेवाले जयकुमार जैन के परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ। 9 नवंबर को सुबह करीब 10 बजे परिजन अपने साथ 5 साल के बेटे मुन्ना को लेकर डागा अस्पताल गए। वहां से लौटते वक्त होलसेल क्लॉथ मार्केट के सामने सिटी बस ने मुन्ना को अपनी चपेट में लेकर काल का ग्रास बना डाला। उस समय गांधीबाग से मेडिकल और अन्य मार्गों के लिए पोस्ट ऑफिस के सामनेवाले मार्ग से बसें जाती थी। आगे बनारसी होटल के पास से पलटती थी। तब आज की तरह अतिक्रमण और व्यस्त यातयात नहीं था। इस दर्दनाक हादसे के बाद यहां से बसों के गुजरने पर रोक लगा दी गई। डागा अस्पताल में जिस बच्चे का जन्म हुआ था वह 47 साल का हो चुका है। इसका नाम अनुराग जैन है। मृतक इसका सगा भाई था।

ऐसे पड़ा नाम नंगा पुतला चौक

इस मार्ग से बसें बंद होने के बाद क्षेत्र के तत्कालीन पार्षद वल्लभदास डागा ने प्रयास कर मनपा के सहयोग से बालक की याद में चौराहा बनाया। 20 दिसंबर 1980 को इसका विधिवत उद्घाटन हुआ। पपू स्वामी वृजेशकुमार, गीता मंदिर के स्वामी दर्शनानंदजी, मप्र के साहित्यरत्न मदनलाल जोशी, उपनिगमायुक्त ए.एन. गुप्ते, पार्षद वल्लभदास डागा प्रमुखता से उपस्थित थे। उस समय इस चौराहे का नाम ब्रह्म माया संयाेग रखा गया था। बाद में इसी चौराहे को वल्लभाचार्य चौक नाम दिया गया। कुछ लाेग आज भी इसी नाम से जानते हैं। चौराहे पर लगी प्रतिमा निर्वस्त्र होने से आम लोगों ने इसे नंगा पुतला चौक कहना शुरू कर दिया। वर्तमान मे यह चौक इसी नाम से जाना जाता है। जबकि अब यहां वल्लभाचार्य चौक के नाम फलक लगाए गए हैं। इस चौराहे के निर्माण के कल्पनाकार की कल्पना सराहनीय है। सबसे नीचे का हिस्सा यानी तल को कमल के पत्तियों का आकार दिया गया है। इसके ऊपर एक हाथ महिला का आैर एक हाथ पुरुष का बनाया गया है। इन दोनों हाथों के बीच मुस्कुराता निर्वस्त्र बालक अपना सीधा हाथ ऊपर उठाए मानों सबको अलविदा कर रहा है। बच्चे के बाएं पैर के पास एक छोटा ब्रह्मकमल बनाया गया है। इसके भीतर फव्वारा लगा है। एक दौर ऐसा था कि यहां के रंगीन फवारे और रखरखाव लोगों के आकर्षण का केंद्र थे। समय के साथ यह बदहाली का शिकार हो गए थे। डीबी स्टार में खबर प्रकाशित होने के बाद इस चौराहे के दिन बहुरने लगे हैं।

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