गड़चिरोली जिले के 42 गांवों का बारिश में टूट जाता है संपर्क, बाढ़ से बदहाल होते हालात

गड़चिरोली जिले के 42 गांवों का बारिश में टूट जाता है संपर्क, बाढ़ से बदहाल होते हालात

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-03 07:54 GMT
गड़चिरोली जिले के 42 गांवों का बारिश में टूट जाता है संपर्क, बाढ़ से बदहाल होते हालात

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। जिले को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए वैसे तो केेंद्र व राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए की निधि खर्च करती है। बावजूद इसके नियोजन के अभाव में प्रतिवर्ष जिले के तकरीबन 42 गांवों को बारिश के दिनों में बाढ़ का सामना करना पड़ता है। पूरे चार माह तक इन गांवों के नागरिक बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहने पर मजबूर हो जाते हैं। नदी व नालों पर बनाए गए कम ऊंचाई वाले पुलों के कारण उपरोक्त स्थिति निर्माण होती है। फिर भी प्रशासन द्वारा इस स्थिति से निपटने के अब तक कोई प्रयास आरंभ नहीं किए जाने से बारिश के दिनों में इन गांवों का संपर्क टूट जाता है। 

ज्ञात हो कि, गड़चिरोली जिला नदियों के जिले के रूप में परिचित है। जिले के चहुंओर नदियां व अनेक नाले आज भी अस्तित्व बनाए हुए हैं। वैनगंगा, प्राणहिता, पामुलगौतम, इंद्रावती, बांडे, पोटफोड़ी, कठाणी, खोब्रागड़ी जैसी बड़ी नदियों समेत अनेक छोटे नाले यहां बारह माह बहते रहते हैं। इन नदियों व नालों के कारण हर वर्ष बारिश के दिनों में स्थानीय नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

गड़चिरोली तहसील में पोटफोड़ी नदी व गोविंदपुर नाले के कारण शिवणी, कृपाला व गोविंदपुर गांव को बाढ़ का सामना करना पड़ता है। वहीं मुलचेरा तहसील में प्राणहिता नदी के चलते येल्ला व गोमणी गांव टापू बन जाते हैं। चामोर्शी तहसील की वैनगंगा नदी में बाढ़ आने से मार्कंडादेव कलमगांव, आष्टी, अनखोड गांव को बाढ़ का खतरा बना रहता है। आरमोरी तहसील में वैनगंगा, गाढ़वी, खोब्रागड़ी व विलौचना नदी की बाढ़ से वघाला, शिवणी, सायगांव, डोंगरसावंगी व वैरागढ़ में बाढ़ आती है। देसाईगंज तहसील में वैनगंगा व गाढ़वी नदी के चलते देसाईगंज, विसोरा, सावंगी, अरततोंडी, किन्हाला गांव बाधित होते हैं। वहीं कुरखेड़ा तहसील में सती व खोब्रागड़ी नदी के कारण कुरखेड़ा, मोहगांव, सायटोला, कुंभीटोला, मालेवाड़ा व बांधगांव को बाढ़ का खतरा बना रहता है।

अहेरी तहसील में प्राणहिता नदी व गड़अहेरी नाले के कारण वांगेपल्ली, गड़अहेरी, बामणी, चिंचगुंडी व दामरंचावासियों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है। वहीं नक्सलग्रस्त एटापल्ली तहसील की पर्लकोटा, बांडे नदी व डुम्मे नाला के कारण हिंदूर, हिक्केर व झारेवाड़ा वासियों को चार माह तक बाढ़ का सामना करना पड़ता है। भामरागढ़ तहसील में पर्लकोटा नदी के कारण तहसील मुख्यालय भामरागढ़ प्रतिवर्ष बाढ़ के चलते संकट में आ जाता है। वहीं सिरोंचा तहसील में गोदावरी, इंद्रावती नदी व पर्सेवाड़ा नाला के कारण मृदुकृष्णापुर, मोयाबिनपेठा, दर्शेवाड़ा, परसेवाड़ा, अंकिसा, पेडलाया, आसरअल्ली, सोमनुर आदि गांवों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है। उपरोक्त 42 गांवों के नागरिक वर्षों से स्थिति में सुधार आने की बाट जोह रहे हैं, लेकिन प्रतिवर्ष उन्हें समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। 

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