होस्टल में डॉक्टर की आत्महत्या का कारण पता लगाएगी 5 सदस्यीय समिति

होस्टल में डॉक्टर की आत्महत्या का कारण पता लगाएगी 5 सदस्यीय समिति

Tejinder Singh
Update: 2019-07-07 09:46 GMT
होस्टल में डॉक्टर की आत्महत्या का कारण पता लगाएगी 5 सदस्यीय समिति

डिजिटल डेस्क, नागपुर। इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयो) में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के प्रथम वर्ष के निवासी चिकित्सक मन्नू कुमार वैद्य ने शुक्रवार को आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या के कारण को कई एंगल से देखा जा रहा है। फिलहाल कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है। आत्महत्या के मामले का कारण पता करने के लिए प्रशासन ने 5 सदस्यीय समिति गठित की है। 

ये हैं जांच समिति में शामिल

मामले की जांच समिति का अध्यक्ष सर्जरी विभाग प्रमुख डॉ. सुनील लांजेवार को बनाया गया है। उसकी समिति में प्रभारी अधीक्षक डॉ. बलवंत कोवे, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग प्रमुख डॉ. प्रशांत उईके, डॉ. राधा मुंजे, डॉ. वैशाली शेलगांवकर को शामिल किया गया है। जांच समिति निवासी चिकित्सक के साथ पढ़ने वाले निवासी चिकित्सकों के साथ उसके परिजन व अन्य लोगों से संपर्क कर घटना का कारण पता कर अधिष्ठाता डॉ. अजय केवलिया को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। शनिवार को मृतक निवासी चिकित्सक के भाई और मामा नागपुर पहुंचे। उन्होंने चर्चा में किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं बताई। पोस्टमार्टम के बाद वह एंबुलेंस से शव को कर्नाटक स्थित अपने गांव लेकर रवाना हो गए।

यह है मामला 

शुक्रवार को मेयो में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के निवासी चिकित्सक डॉ. मन्नू कुमार ने कक्ष क्रमांक 33 में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उसने करीब डेढ़ माह पहले प्रसूतिशास्त्र के स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष में एडमिशन लिया था। आर्थिक स्थिति अच्छी होने के कारण वह अपने साथ कार सहित अन्य समान लेकर नागपुर आया था। पिछले दिनों घर पर भी उसकी बात हुई थी, लेकिन उसने ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं दी।

एसिड हमले के पीड़ितों के लिए मेयो में विधि सेवा केंद्र

इसके अलावा शनिवार को मेयो अस्पताल में विधि सेवा केंद्र का उद्घाटन हुआ। इस सेवा केंद्र में एसिड हमले के घायलों को चिकित्सकीय सेवा देने के साथ ही कानूनी पहलुओं की जानकारी दी जाएगी। एसिड हमले के घायलों को शारीरिक और आर्थिक तौर पर भारी नुकसान झेलना पड़ता है। चेहरे बुरी तरह विद्रुप हो जाता है। शल्यक्रिया भी बहुत खर्चिली है। घायल के साथ साथ उसके परिजनों को भी भारी कष्ट  से गुजरना पड़ता है। ऐसे पीड़ितों को कानूनी और चिकित्सकीय सेवा उपलब्ध कराने के साथ ही उचित मुआवजा दिलाने विधि सेवक नियुक्त किए गए हैं। 

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