यहां श्रीकृष्ण ने रखे थे कदम, इस बावड़ी में उनके घोड़े पीते थे पानी, जानिए इतिहास

यहां श्रीकृष्ण ने रखे थे कदम, इस बावड़ी में उनके घोड़े पीते थे पानी, जानिए इतिहास

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-08 06:27 GMT
यहां श्रीकृष्ण ने रखे थे कदम, इस बावड़ी में उनके घोड़े पीते थे पानी, जानिए इतिहास

डिजिटल डेस्क,अमरावती। अपने इतिहास और संस्कृति को लेकर अमरावती हमेशा से ही चर्चा में रहा है। इसके इतिहास पर नजर डाली जाए तो कई रोचक और अलग पहलू सामने आते हैं। इसी का एक उदाहरण है 700 साल पुराने "परकोट" और उसके अंदर स्थित मंदिर। कहा जाता है कि खुद भगवान कृष्ण भी यहां आए थे। गौरतलब है कि अमरावती "परकोट" के भीतर तारखेड़ा स्थित सोमेश्वर देवस्थान पर स्थित पुरातन कुओं का इतिहास 700 साल पुराना है।

यह एक तरह की पुरानी बावड़ी या कुआं है, जिसे स्थानीय बोलचाल में परकोट कहा जाता रहा है। इस पुरातन कुएं की पथरीली दरो-दीवारें उस जमाने के मेहनती लोगों की मेहनत और लगनशीलता का बखान करती हैं। कुएं के निर्माण के संदर्भ में कोई सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन मंदिर के पुजारी बंडूभाऊ रामदेवकर के मुताबिक लगभग 700 साल पहले इस कुएं का निर्माण किया गया था। उन्होंने बताया कि जिस समय इस कुएं की खुदाई हो रही थी उस समय धरती के भीतर से महादेवजी की पिंड निकल आई थी। इसके बाद इस पिंड के साथ कुएं की बगल में ही मंदिर स्थापित किया गया। तभी से यह मंदिर सभी के आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर को जागृत माना जाता है। 

 कुएं का इतिहास
यहां बनाए गए पुरातन कुएं में पत्थरों की सीढ़ियां और दीवारों क कल्पना करना काफी कठिन है। कुएं को देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल है कि किस तरह कुएं का निर्माण कराया गया होगा। कुएं में प्रवेश करने के लिए पत्थरों की दीवार में एक दरवाजा भी बनाया गया है। दरवाजे के भीतर प्रवेश करते ही बाईं ओर कुएं के भीतर का विहंगम नजारा देखा जा सकता है। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस कुएं की गहराई लगभग 50 फीट। लगभग 6 से 7 साल पहले तक परिसर के लोग पानी के लिए इस कुएं पर निर्भर थे। हालांकि अब परिसर में नल लग जाने से जलापूर्ति के लिए कुएं का उतना अधिक इस्तेमाल नहीं होता। फिर भी इस पुरातन कुएं के रखरखाव एवं सुरक्षा के लिए परिसर के नागरिक एवं जनप्रतिनिधि जागरूक रहते हैं। इतना ही नहीं इस कुएं पर जालीनुमा ग्रिल लगाई गई है ताकि कोई कुएं के अंदर कचरा न फेंक सके। 

श्रीकृष्ण के घोड़े पीते थे पानी
परकोट के अंदर भोलेश्वर मंदिर है जिसे पुरातन एवं जागरुक देवस्थान माना जाता है। माता-खिड़की परिसर स्थित महानुभाव मंदिर के संदर्भ में कहा जाता है कि यहां स्वयं भगवान कृष्ण आए थे। जिस स्थान पर भगवान कृष्ण के चरणस्पर्श हुए वहीं महानुभाव मंदिर स्थापित कर दिया गया। यहां से कुछ दूरी पर भोलेश्वर मंदिर है। इस मंदिर के नीचे निर्मित पुरातन कुएं की भी अपनी ही विशेषता है। कहते हैं कि इन पत्थरों से निर्मित कुएं में भगवान कृष्ण के घोड़े पानी पीने आया करते थे।
 

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