नागपुर में देख पाएंगे आदिवासी संस्कृति की झलक, लगेगा कुछ वक्त

नागपुर में देख पाएंगे आदिवासी संस्कृति की झलक, लगेगा कुछ वक्त

Tejinder Singh
Update: 2018-10-07 13:35 GMT
नागपुर में देख पाएंगे आदिवासी संस्कृति की झलक, लगेगा कुछ वक्त

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर में गोंडवाना आदिवासी सांस्कृतिक संग्रहालय व प्रशिक्षण उपकेंद्र बनने में अभी वक्त लग सकता है। इसकी घोषणा पुणे के स्थापना दिवस की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2013 में की थी। घोषणा के बाद केंद्र सरकार द्वारा करोड़ों की निधि उपलब्ध करायी जा चुकी है। लेकिन इस संग्रहालय के लिए आवश्यक जमीन खोजने में प्रशासन को काफी समय लग गया। अब भी जमीन काे लेकर भी भ्रम बना हुआ है। 31 जुलाई, 2018 को शासन द्वारा संग्रहालय के लिए दी गई जमीन की नापजोख हाल ही में हुई। हालांकि आदिवासी विकास विभाग के मुताबिक जब तक यह जमीन पूरी तरह से उसे नहीं मिल जाती तब तक आदिवासी संग्रहालय तैयार नहीं किया जा सकता।

21 करोड़ रुपए देने की घोषणा

आदिवासी संग्रहालय तैयार करने के लिए जनजाति कार्य मंत्रालय द्वारा 2014-15 में 10 करोड़ रुपए और 2015-16 में 11 करोड़ रुपए देने की घोषणा की गई थी। यह निधि भी अब तक आदिवासी विकास विभाग के खाते में जमा नहीं हो पायी है। शीघ्र जमीन तय कर संग्रहालय का काम शुरू न कर पाने के कारण जनजाति कार्य मंत्रालय द्वारा इस मद के लिए गत दो वर्षों में किसी भी प्रकार की निधि का प्रावधान नहीं किया गया है। केंद्र सरकार चाहती है कि आदिवासियों के जीवन व संस्कृति को बताने वाली धरोहरों का संग्रहण इस संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाए तथा आदिवासी समुदाय के लोगों के लिए संग्रहालय परिसर में ही कौशल विकास कार्यक्रम, शिक्षा, रोजगार आदि का प्रबंध किया जा सके। लेकिन संग्रहालय स्थापित करने की प्रक्रिया में बरती जा रही ढिलाई के चलते यह महत्वाकांक्षी प्रकल्प अटका हुआ है। इससे आदिवासियों की शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार आदि में भी बाधा उत्पन्न हो रही है।

पहले मिली थी चिखली में जमीन 

संतरानगरी में आदिवासी संग्रहालय शुरू करने के लिए पहले मौजा चिखली, नगर भूमापन क्र.53 की 5.55 एकड़ जमीन उपलब्ध करायी गई थी। इस जमीन पर भव्य संग्रहालय व आदिवासी प्रशिक्षण उपकेंद्र तैयार करने का निर्णय लिया गया था। 25 जून 2015 को आदिवासी विकास आयुक्त तथा नागपुर सुधार प्रन्यास के तत्कालीन अधिकारियों ने इस जगह का निरीक्षण भी किया था। यह जगह गोंडवाना आदिवासी उपकेंद्र के लिए उपयुक्त करार दी गई तथा यहां संग्रहालय तैयार करने का प्रस्ताव भी सरकार के समक्ष पेश किया गया था। लेकिन कुछ ही दिनों बाद इस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया। 

स्मार्ट सिटी की ओर अग्रसर उपराजधानी के विकास में एक और अध्याय जुड़ने जा रहा है। कई वर्षों से प्रतिक्षारत आदिवासी सांस्कृतिक संग्रहालय की स्थापना के लिए आदिवासी विकास विभाग द्वारा रफ्तार तेज कर दी गई है। इस क्रम में संग्रहालय के लिए आवश्यक जमीन की तलाश भी समाप्त हो गई है तथा शासन द्वारा सुराबर्डी में जमीन उपलब्ध कराने की घोषणा कर दी गई है। मौजा सुराबर्डी, सिटी सर्वे क्र. 41 की 8.55 हेक्टेयर जमीन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर का आदिवासी संग्रहालय तैयार किया जाएगा। हाल ही में इस जमीन की नापजोख 2 बार करायी गई है। संग्रहालय की स्थापना के लिए केंद्रीय जनजाति कार्य मंत्रालय ने 21 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। हालांकि यह पैसा अब तक आदिवासी विभाग को नहीं मिला है।

 

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